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फ़तेहपुर सीकरी

  • फतेहपुर सीकरी
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सम्राट अकबर द्वारा 16वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में बनवाया गया फ़तेहपुर सीकरी (विजय का शहर) केवल कुछ 10 वर्षों के लिए ही मुगल साम्राज्य की राजधानी थी। एकसमान वास्तुशिल्पीय शैली में बनवाए गए स्मारकों और मंदिरों के परिसर में जामा मस्जिद शामिल है जो भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है।

फ़तेहपुर सीकरी उत्तर प्रदेश के आगरा के पास बसा एक शहर है। इसका निर्माण मुगल सम्राट अकबर द्वारा करवाया गया था। यह शहर, मुगल राजधानी के लाहौर में स्थानांतरित होने तक मुगल साम्राज्य की राजधानी बनी रही। मुख्य रूप से स्थानीय तौर पर पाए जाने वाले लाल बलुआ पत्थर (जिसे सीकरी बलुआ पत्थर के नाम से भी जाना जाता है) की मदद से सम्राट ने इस नए शहर में कई संरचनाएँ बनवाईं जिनमें महल, प्रवेशद्वार, मकबरे, और मस्जिदें शामिल हैं।

अकबर का आध्यात्मिक रुझान चिश्ती सूफ़ी परंपरा की ओर था। यह रुझान तब और भी मज़बूत हो गया था जब शेख सलीम चिश्ती ने अकबर के सबसे बड़े बेटे सलीम और भावी सम्राट जहाँगीर के जन्म की भविष्यवाणी की थी। अकबर ने अपनी कृतज्ञता प्रकट करने के लिए सीकरी में अपनी राजधानी के निर्माण का आदेश दिया था, जहाँ उनके पीर शेख सलीम रहते थे।

सीकरी का निर्माण-कार्य 1569 में शुरू हुआ था जिस वर्ष जहाँगीर पैदा हुए थे। शुरू में, शेख सलीम के लिए एक धार्मिक परिसर का निर्माण किया गया था जिसमें एक खानगाह (धार्मिक स्थल) और जामा मस्जिद नाम की एक मस्जिद थी जो उस समय की सबसे बड़ी मस्जिद थी। 1573 में अकबर ने गुजरात में हुए एक युद्ध में विजय पाई थी जिसको चिह्नित करने के लिए, धार्मिक परिसर में बुलंद दरवाज़ा नामक एक विशालकाय दक्षिणी द्वार का निर्माण किया गया था। तब से सीकरी, फ़तेहपुर सीकरी या ‘विजय का शहर’ के रूप में प्रसिद्ध ही गया। 1572 में शेख सलीम की मृत्यु के बाद इस परिसर में बारीक और सजावटी जालीदार कारीगरी से युक्त एक पूरे सफ़ेद संगमरमर के मकबरे का निर्माण-कार्य शुरू किया गया था। यह 1580-1581 के बीच पूरा हुआ था।
इस महल के परिसर में एकाधिक संरचनाएँ हैं जिनमें से कुछ मुख्य संरचनाओं को छोड़ कर, कई संरचनाओं के कार्य निर्धािरित नहीं हैं। . 

1571 से सीकरी में चारों ओर दीवारों से घिरे हुए शहर और एक शाही महल का निर्माण-कार्य शुरू हो गया था। जिस प्रकार, हुमायूँ का मकबरा निज़ामुद्दीन औलिया के मकबरे के पास बनवाया गया था, उसी प्रकार सीकरी में भी अकबर के महल का निर्माण शेख सलीम की खानगाह के पास किया गया था जिससे यह पता चलता है कि अकबर ने अपने शासन का वैधता बनाए रखने के लिए चिश्ती सम्प्रदाय से निकटता स्थापित की थी।

  • दीवान-ए-आम या दर्शकों का हॉल, खंभों से युक्त, एक सपाट छत वाला बरामदा है जहाँ अकबर बिना किसी भेदभाव के अभिजात वर्ग के लोगों और आम जनता से मिलकर उनकी शिकायतें सुना करते थे। 
  • दीवान-ए-खास या निजी दर्शक हॉल जहाँ बादशाह अभिजातों के साथ निजी बैठकें किया करते थे, एक अनूठी संरचना है क्योंकि कक्ष के केंद्र में एक विस्तृत रूप से तराशा गया स्तंभ है जिसका भव्य शीर्ष सर्पिल कोष्ठकों (ब्रैकेट) से बना हुआ है। इस स्तंभ के ऊपर एक गोलाकार मंच है जो, पत्थर के खंडों से बने चलने वाले रास्तों द्वारा, इमारत के प्रत्येक कोने से जुड़ा हुआ है। इस बात की पूरी संभावना है कि अकबर इस केंद्रीय गोलाकार मंच पर बैठकर अपने साम्राज्य के सबसे मुख्य व्यक्ति के रूप में खुद को पेश किया करते थे। 
  • अनूप तलाओ एक चौकोर तालाब है जिसके बीचों बीच एक चबूतरा है जिसका तल वीथिकाओं के ज़रिए तालाब के प्रत्येक कोने से जुड़ा हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि अकबर यहाँ इस्लामी कानून के बारे में उलमा के साथ धार्मिक चर्चा किया करते थे।

इस परिसर में पंच महल, हमाम या शाही स्नानघर, जोधाबाई की रसोई, ख्वाबगाह या बादशाह का शयन कक्ष, तुर्की सुल्ताना का महल, दफ़्तर खाना या अभिलेख कार्यालय जैसी अन्य आकर्षक संरचनाएँ भी शामिल हैं।

अकबर ने केवल शाही महलों का निर्माण नहीं करवाया था, बल्कि सीकरी नाम की उनकी नई राजधानी में दरबार के अभिजातों के निवास स्थान, एक विशाल मस्जिद, सराय, बाज़ार, बगीचे, गुसलखाने, विद्यालय और कार्यशालाएँ भी बनवाई थीं और इस प्रकार फ़तेहपुर सीकरी एक समग्र रूप से शाही, प्रशासनिक, आर्थिक और रिहायशी परिसर बना।