दक्षिण दिल्ली से कुछ किलोमीटर की दूरी पर 13वीं सदी के प्रारंभ में लाल बलुआ पत्थर से बनवाई गई कुत्बमीनार की इमारत 72.5 मीटर ऊँची है जिसके शिखर का 2.75 मीटर का व्यास तल तक पहुँचते-पहुँचते 14.32 मीटर का हो जाता है और इसमें बारी-बारी से कोनेदार और गोलाकार धारीदार अलंकरण हैं। आस-पास के पुरातत्वीय क्षेत्र में अंत्येष्टि-संबंधी इमारतें हैं। इनमें विशेषतः भारतीय-मुस्लिम वास्तुकला की उत्कृष्ट कलाकृति, आलीशान अलाई दरवाज़ा (1311 में निर्मित) और दो मस्जिदें शामिल हैं, जिनमें उत्तर भारत की सबसे पुरानी मस्जिद कुव्वत-अल-इस्लाम मस्जिद भी है, जिसे लगभग 20 ब्राह्मण मंदिरों की सामग्री का दोबारा उपयोग करके बनाया गया था।
कुत्बमीनार एक ऐसे विशाल परिसर का हिस्सा है जिसमें 12वीं सदी से लेकर 14वीं सदी तक की अनेक ऐतिहासिक इमारतें शामिल हैं। इसे 1993 में यूनेस्को धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया गया था। मुख्यतः लाल बलुआ पत्थर से बना यह परिसर सल्तनतकाल की उत्कृष्ट वास्तुकला का नमूना है। यहाँ की कुछ प्रमुख संरचनाएँ इस प्रकार हैं:
इस परिसर में कुछ अन्य स्मारक हैं, जैसे कि अलाउद्दीन खिलजी का मकबरा और मदरसा, तथा इमाम-ए-ज़माँ नाम से प्रसिद्ध, सिकंदर लोदी के समय तुर्किस्तान से हिंदुस्तान आने वाले, पीर इमाम मुहम्मद अली का मकबरा।
© यूनेस्को
Author: Francesco Bandarin
© यूनेस्को
Author: Francesco Bandarin
© यूनेस्को
Author: Francesco Bandarin
© यूनेस्को
Author: Francesco Bandarin
© यूनेस्को
Author: Francesco Bandarin
© यूनेस्को
Author: Francesco Bandarin
© यूनेस्को
Author: Francesco Bandarin
© यूनेस्को
Author: Francesco Bandarin
© यूनेस्को
Author: Francesco Bandarin
© यूनेस्को
Author: Francesco Bandarin
© यूनेस्को
Author: Francesco Bandarin
© यूनेस्को
Author: Francesco Bandarin
© यूनेस्को
Author: Francesco Bandarin