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बहर अल-हयात
भारतीय उपमहाद्वीप विविध संस्कृतियों, भाषाओं और प्रथाओं का केंद्र है। इसके समृद्ध इतिहास से कई उदाहरण दिए जा सकते हैं, जो इन विभिन्न धाराओं के सह-अस्तित्व, मिश्रण और सांस्कृतिक समामेलन के साक्षी हैं। ‘बहर अल-हयात’ या जीवन का महासागर एक सचित्र फ़ारसी पुस्तक है, जिसमें ध्यान के दौरान उपयोग में लाए जाने वाले विभिन्न आसनों सहित, बड़ी संख्या में अन्य विषय शामिल हैं। इसे योग पर लिखे गए पहले सचित्र ग्रंथों में से एक माना जाता है।
बहर अल-हयात की रचना मुहम्मद गौथ ग्वालियरी ने गुजरात में सन् 1550 के आसपास की थी। वे सत्तारी सूफ़ी संप्रदाय के एक सूफ़ी संत थे। अपने शिष्यों को आध्यात्मिक परिवर्तन के सूफ़ी लक्ष्यों के अनुरूप हठ योग की प्रथाओं से परिचित कराने के लिए उन्होंने इस पुस्तक की रचना की थी। गौथ ने इस बात पर बल दिया कि योगियों और सूफ़ियों के व्यक्तिगत आध्यात्मिक अनुभव समान हैं। यह सचित्र खंड, योग से संबंधित उन तीन पांडुलिपियों में से एक था, जिन्हें शहज़ादे सलीम (जिसे बाद में मुगल सम्राट जहाँगीर के नाम से जाना गया) द्वारा लिखने का आदेश दिया गया था, जो सन् 1600 और 1604 के बीच इलाहाबाद में रहते थे। बहर अल-हयात की रचना का इतिहास और पृष्ठभूमि ‘अमृतकुंड’ से जुड़ा हुआ है, जो स्पष्टतया हिंदी या संस्कृत में लिखी गई पुस्तक थी। दुर्भाग्य से अब इसकी मौलिक प्रति नष्ट हो गई है।


पुस्तक की प्रस्तावना के अनुसार, सन् 1210 में, बंगाल में, अमृतकुंड का फ़ारसी और फिर अरबी में अनुवाद किया गया और इसका शीर्षक ‘हौद माल-हयात’ या जीवन के जल का ताल’ रखा गया। इस पुस्तक के अनुवादों और इससे जुड़ी घटनाओं के विषय में कई जटिल अवधारणाएँ हैं, जो बाद में ‘बहर अल-हयात’ की रचना में भी अभिव्यक्त हुईं। परंतु, यह बात उल्लेखनीय है कि भले ही बहर अल-हयात पहले से रचित ग्रंथों पर आधारित था, लेकिन यह उनका पूर्ण रूपेण अनुवाद नहीं था; लेखक द्वारा बाद में बहुत कुछ जोड़ा गया, जिससे अंतिम उत्पाद अपने आप में अद्वितीय बन गया।
बहर अल-हयात में दस अध्याय हैं, और इनमें से प्रत्येक अध्याय एक अलग विषय से संबंधित है। इन दस अध्यायों में हठ योग के दर्शन को समझाने का प्रयास किया गया है। पांडुलिपि में योगियों को गोरक्षासन, कुक्कुटासन, कुर्मासन, वीरासन, गर्भासन, पद्मासन, और सिद्धासन जैसी विभिन्न मुद्राओं में चित्रित करने वाले चित्र हैं। अनुपम लिखित खंडों के अलावा, ये चित्र बहर अल-हयात को ऐसे अन्य ग्रंथों से अलग बनाते हैंl
बहर अल-हयात एक अनूठा ग्रंथ है, जो योग मुद्राओं, पूर्वानुमान की तकनीकों, मंत्रों, आदि, से जुड़े कई विषयों पर चर्चा करता है। इसमें विषय को गहनता से विश्लेषित किया गया है और एक साहित्यिक स्रोत के रूप में इसका इतिहास में एक अद्वितीय स्थान है।
