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अ स्कैच ऑफ़ द मॉडर्न लैंग्वेजेस ऑफ़ द ईस्ट इंडीज़

Author: कस्ट, रॉबर्ट एन.

Keywords: भाषाएँ, भाषा-शास्त्र, प्राच्य भाषाएँ, आर्य, द्रविड़, मलयन, कोलारियन, तिबती-बर्मन, खासी, ताई, मोन-अनम

Publisher: ट्रबनर, लंदन

Description: यह ट्रबनर की प्राच्य श्रृंखला का एक भाग है जिसे प्राच्य साहित्य, दर्शन और धर्म के ज्ञान को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। इस विशेष पुस्तक के लेखक को प्राच्य भाषाओं का बहुत ज्ञान था। उन्होंने महसूस किया कि उनके बारे में जानकारी अलग-अलग खंडों में छितराई हुई थी और इसलिए उन्हें एक पुस्तक में समेकित और प्रकाशित किया जाना चाहिए। यह पुस्तक आर्य, द्रविड़, कोलारियन, तिबती-बर्मन, खासी, ताई, मोन-अनाम और मलयन भाषा-परिवारों पर विस्तृत अध्यायों में विभाजित है।

Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार

Type: दुर्लभ पुस्तक

Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार


DC Field Value
dc.contributor.author कस्ट, रॉबर्ट एन.
dc.date.accessioned 2019-02-18T14:21:12Z
dc.date.available 2019-02-18T14:21:12Z
dc.description यह ट्रबनर की प्राच्य श्रृंखला का एक भाग है जिसे प्राच्य साहित्य, दर्शन और धर्म के ज्ञान को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। इस विशेष पुस्तक के लेखक को प्राच्य भाषाओं का बहुत ज्ञान था। उन्होंने महसूस किया कि उनके बारे में जानकारी अलग-अलग खंडों में छितराई हुई थी और इसलिए उन्हें एक पुस्तक में समेकित और प्रकाशित किया जाना चाहिए। यह पुस्तक आर्य, द्रविड़, कोलारियन, तिबती-बर्मन, खासी, ताई, मोन-अनाम और मलयन भाषा-परिवारों पर विस्तृत अध्यायों में विभाजित है।
dc.source केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
dc.format.extent xii, 198 p.
dc.format.mimetype application/pdf
dc.language.iso अंग्रेज़ी
dc.publisher ट्रबनर, लंदन
dc.relation.ispartofseries Trubner's oriental series;IV
dc.subject भाषाएँ, भाषा-शास्त्र, प्राच्य भाषाएँ, आर्य, द्रविड़, मलयन, कोलारियन, तिबती-बर्मन, खासी, ताई, मोन-अनम
dc.type दुर्लभ पुस्तक
dc.date.copyright 1878
dc.identifier.accessionnumber AS-001583
dc.format.medium text
DC Field Value
dc.contributor.author कस्ट, रॉबर्ट एन.
dc.date.accessioned 2019-02-18T14:21:12Z
dc.date.available 2019-02-18T14:21:12Z
dc.description यह ट्रबनर की प्राच्य श्रृंखला का एक भाग है जिसे प्राच्य साहित्य, दर्शन और धर्म के ज्ञान को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। इस विशेष पुस्तक के लेखक को प्राच्य भाषाओं का बहुत ज्ञान था। उन्होंने महसूस किया कि उनके बारे में जानकारी अलग-अलग खंडों में छितराई हुई थी और इसलिए उन्हें एक पुस्तक में समेकित और प्रकाशित किया जाना चाहिए। यह पुस्तक आर्य, द्रविड़, कोलारियन, तिबती-बर्मन, खासी, ताई, मोन-अनाम और मलयन भाषा-परिवारों पर विस्तृत अध्यायों में विभाजित है।
dc.source केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
dc.format.extent xii, 198 p.
dc.format.mimetype application/pdf
dc.language.iso अंग्रेज़ी
dc.publisher ट्रबनर, लंदन
dc.relation.ispartofseries Trubner's oriental series;IV
dc.subject भाषाएँ, भाषा-शास्त्र, प्राच्य भाषाएँ, आर्य, द्रविड़, मलयन, कोलारियन, तिबती-बर्मन, खासी, ताई, मोन-अनम
dc.type दुर्लभ पुस्तक
dc.date.copyright 1878
dc.identifier.accessionnumber AS-001583
dc.format.medium text