Author: गांधी, एम.के.
Keywords: प्रार्थना, व्याख्यान, गांधीजी, महात्मा गांधी, आस्था, समरसता, स्वतंत्रता उपरांत
Publisher: नवजीवन पब्लिशिंग हाउस, अहमदाबाद
Description: यह पुस्तक 10 सितंबर 1947 से 30 जनवरी 1948 को महात्मा गाँधी की मृत्यु तक उनके द्वारा दिल्ली में दिए गए प्रार्थना-उपरांत व्याख्यानों को प्रस्तुत करती है। इस पुस्तक के प्रकाशकों का तर्क है कि इन प्रार्थनाओं को गाँधीजी के ‘मुक्त भारत को अंतिम संदेश' के रूप में वर्णित किया जा सकता है। राजेंद्र प्रसाद ने प्रस्तावना में कहा कि गाँधी जी की इन वर्षों में जीवन, संपत्ति और नैतिक भावना की क्षति से उत्पन्न वेदना को देखा जा सकता है। हालाँकि गांधीजी ने इन व्याख्यानों में कई विषयों को शामिल किया है, परंतु सबसे महत्वपूर्ण अंश विभिन्न धर्मों के बीच शांति से संबंधित है।
Source: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
Type: दुर्लभ पुस्तक
Received From: केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार
DC Field | Value |
dc.contributor.author | गांधी, एम.के. |
dc.date.accessioned | 2018-07-27T05:04:11Z |
dc.date.available | 2018-07-27T05:04:11Z |
dc.description | यह पुस्तक 10 सितंबर 1947 से 30 जनवरी 1948 को महात्मा गाँधी की मृत्यु तक उनके द्वारा दिल्ली में दिए गए प्रार्थना-उपरांत व्याख्यानों को प्रस्तुत करती है। इस पुस्तक के प्रकाशकों का तर्क है कि इन प्रार्थनाओं को गाँधीजी के ‘मुक्त भारत को अंतिम संदेश' के रूप में वर्णित किया जा सकता है। राजेंद्र प्रसाद ने प्रस्तावना में कहा कि गाँधी जी की इन वर्षों में जीवन, संपत्ति और नैतिक भावना की क्षति से उत्पन्न वेदना को देखा जा सकता है। हालाँकि गांधीजी ने इन व्याख्यानों में कई विषयों को शामिल किया है, परंतु सबसे महत्वपूर्ण अंश विभिन्न धर्मों के बीच शांति से संबंधित है। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | xxiv, 406 p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | नवजीवन पब्लिशिंग हाउस, अहमदाबाद |
dc.subject | प्रार्थना, व्याख्यान, गांधीजी, महात्मा गांधी, आस्था, समरसता, स्वतंत्रता उपरांत |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.identifier.other | GAN |
dc.date.copyright | 1948 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-003525 |
dc.format.medium | text |
DC Field | Value |
dc.contributor.author | गांधी, एम.के. |
dc.date.accessioned | 2018-07-27T05:04:11Z |
dc.date.available | 2018-07-27T05:04:11Z |
dc.description | यह पुस्तक 10 सितंबर 1947 से 30 जनवरी 1948 को महात्मा गाँधी की मृत्यु तक उनके द्वारा दिल्ली में दिए गए प्रार्थना-उपरांत व्याख्यानों को प्रस्तुत करती है। इस पुस्तक के प्रकाशकों का तर्क है कि इन प्रार्थनाओं को गाँधीजी के ‘मुक्त भारत को अंतिम संदेश' के रूप में वर्णित किया जा सकता है। राजेंद्र प्रसाद ने प्रस्तावना में कहा कि गाँधी जी की इन वर्षों में जीवन, संपत्ति और नैतिक भावना की क्षति से उत्पन्न वेदना को देखा जा सकता है। हालाँकि गांधीजी ने इन व्याख्यानों में कई विषयों को शामिल किया है, परंतु सबसे महत्वपूर्ण अंश विभिन्न धर्मों के बीच शांति से संबंधित है। |
dc.source | केंद्रीय सचिवालय ग्रंथागार |
dc.format.extent | xxiv, 406 p. |
dc.format.mimetype | application/pdf |
dc.language.iso | अंग्रेज़ी |
dc.publisher | नवजीवन पब्लिशिंग हाउस, अहमदाबाद |
dc.subject | प्रार्थना, व्याख्यान, गांधीजी, महात्मा गांधी, आस्था, समरसता, स्वतंत्रता उपरांत |
dc.type | दुर्लभ पुस्तक |
dc.date.copyright | 1948 |
dc.identifier.accessionnumber | AS-003525 |
dc.identifier.other | GAN |
dc.format.medium | text |