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सन् 2019 में प्रयागराज (इलाहाबाद) में आयोजित कुंभ मेले का हवाई दृश्य। कुंभ मेले को व्यापक रूप से दुनिया की सबसे बड़ी धार्मिक सभा के रूप में जाना जाता है। इस तरह की असाधारण और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर होने के कारण ही यूनेस्को ने 2017 में अपनी मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में इसे शामिल किया था। माना जाता है कि 2019 में प्रयागराज (इलाहाबाद) में आयोजित होने वाले अर्धकुंभ मेले में करीब 15 करोड़ लोग शामिल हुए थे । स्रोत: तारा चंद गवरिया।
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प्रयागराज में आयोजित होने वाली मौनी अमावस्या के दौरान शाही स्नान हेतु श्रद्धालु कुंभ मेले में पहुँचते हैं। कुंभ मेला पारंपरिक मेले से अलग होता है। यह एक विशाल आध्यात्मिक सभा है, ब्रह्मांडीय ताकतों का संरेखण है, एक अनूठा प्रदर्शन है जो पूरे भारत और दुनिया के तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है ।
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2019 के प्रयाग कुंभ में सिंदूर विक्रेता के पास से गुज़रता एक साधु। मध्ययुगीन काल से ही इस मेले ने इतिहासकारों, यात्रियों, दार्शनिकों, लेखकों, कवियों और कलाकारों को अपनी ओर आकर्षित किया है। फ़ोटोग्राफ़र सुनील कुमार।
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प्रयागराज (इलाहाबाद) में त्रिवेणी संगम। त्रिवेणी संगम को हिंदू धर्म के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है क्योंकि यह तीन पवित्र नदियों, गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती का मिलन स्थल है।
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2019 में बसंत पंचमी पर शाही स्नान के लिए त्रिवेणी संगम पर लाखों श्रद्धालुओं और तीर्थयात्रियों की उमड़ती भीड़। स्नान, कुंभ के सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में एक होते हैं।
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2019 के कुंभ मेले के अनुष्ठान स्नानार्थियों को दर्शाता एक हवाई दृश्य। कुंभ मेला एक पचपन दिवसीय पर्व होता है, जहाँ ऐसा लगता है मानो पूरी दुनिया पवित्र नदियों के तट पर उतर आई हो। तीर्थयात्री इन पवित्र घाटों पर पूजा-अर्चना करने के लिए एकत्र होते हैं। माना जाता है कि यह कृत्य किसी भी व्यक्ति द्वारा किए गए पापों को धो देता है और उन्हें जन्म-मरण के कष्टदायक चक्र से बचाता है। फ़ोटोग्राफ़र: सतीश चलोत्रा
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2019 के प्रयाग कुंभ में माघी पूर्णिमा के अवसर पर शाही स्नान के लिए मेले की ओर बढ़ता एक अखाड़े का जुलूस। शाही स्नान (जिसे राजयोगी स्नान भी कहा जाता है) जैसे शुभ दिनों पर लाखों तीर्थयात्री अखाड़ों के साथ पवित्र जल में स्नान करते हैं । माना जाता है कि शाही स्नान में तीर्थयात्री को आध्यात्मिक पुण्यों से पुरस्कृत करने की क्षमता होती है इसलिए मुहूर्त को सावधानी से निर्धारित किया जाता है।
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2019 के प्रयाग कुंभ में गंगा के किनारे एकत्रित हुए तीर्थयात्री, श्रद्धालु और तपस्वी। बताया जाता है कि प्रयाग में आयोजित 2019 के अर्धकुंभ मेले के दौरान त्रिवेणी संगम पर शाही स्नान में करीब 14 लाख लोगों ने हिस्सा लिया था।
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2019 के प्रयाग कुंभ में नागा साधुओं के एक रंग-बिरंगे भित्तिचित्र के सामने वार्तालाप करते दो साधु। हिंदू ब्रह्मांड विज्ञान में कुंभ का गहरा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है लेकिन यह भी सच है कि इससे जुड़े सामाजिक पहलू को नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता। तीर्थ यात्री या साधु-संत, कुंभ की यात्रा अन्य लोगों से मिलने-जुलने के लिए भी करते हैं। फ़ोटोग्राफ़र: सेंथिलकुमार कांधाकृष्णन।
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2019 के प्रयाग कुंभ में नागा साधुओं के एक रंग-बिरंगे भित्तिचित्र के सामने वार्तालाप करते दो साधु। हिंदू ब्रह्मांड विज्ञान में कुंभ का गहरा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है लेकिन यह भी सच है कि इससे जुड़े सामाजिक पहलू को नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता। तीर्थ यात्री या साधु-संत, कुंभ की यात्रा अन्य लोगों से मिलने-जुलने के लिए भी करते हैं। फ़ोटोग्राफ़र: सेंथिलकुमार कांधाकृष्णन।
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2019 के कुंभ मेले में महिला तपस्वियों का एक जुलूस। कुंभ मेला कई लोगों के लिए उत्सव और आनंद का समय होता है। यह लोगों से मिलने- जुलने और एकता की शक्ति महसूस करने का समय है।
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2019 के प्रयाग कुंभ में प्रदर्शन करते नटों का एक समूह। कुंभ न केवल एक आध्यात्मिक पर्व है बल्कि वह तीर्थयात्रियों और श्रद्धालुओं को कई तरह के सांस्कृतिक अनुभव भी प्रदान करता है जिसमें राज्य द्वारा बड़े पैमाने पर प्रायोजित अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों और प्रदर्शनों से लेकर नटों द्वारा पारंपरिक प्रदर्शन शामिल होते हैं। फ़ोटोग्राफ़र: योगेश पाल।
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प्रयागराज (इलाहाबाद) में कुंभ मेला संस्कृति ग्राम में पुराणों से लिए गए समुद्र मंथन के प्रसंग की एक चित्रावली। कुंभ शब्द का अर्थ, भागवत पुराण, महाभारत और विष्णु पुराण जैसे विभिन्न ग्रंथों में वर्णित, समुद्र मंथन प्रकरण से अमृत के अमर पात्र से जुड़ा हुआ है।
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2019 के प्रयाग कुंभ में बसंत पंचमी के दौरान अपने पताकों के साथ शाही स्नान के रास्ते में एक पीपों का पुल पार करते अखाड़ों के समूह।
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2019 के प्रयाग कुंभ में नागा साधु। कुंभ में शाही स्नान के दौरान बड़ी संख्या में एकांतप्रिय नागा साधुओं को तलवारों और त्रिशूल से लैस पवित्र जल में अपना रास्ता बनाते हुए देखा जा सकता है । नागा साधु त्याग और ध्यान का घोर निर्वहन करते हैं। उनके निर्वस्त्र, राख से लतपथ, मालाएँ पहने हुए शरीर और मटमैले बाल, तीर्थयात्रियों के लिए इन तपस्वियों के दर्शन करने का एक नायाब अवसर प्रदान करता है। ऐसे दर्शनों को शाही स्नान के जितना ही पवित्र माना जाता है।
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2019 के प्रयागराज (इलाहाबाद) में कुंभ मेले की बसों की विशेष परेड। साधुओं और साध्वियों के रंगारंग जुलूसों के अलावा उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) द्वारा प्रयागराज (इलाहाबाद) शहर में मार्च 2019 में 500 विशेष कुंभ-मेला बसों की परेड की गई थी। इस परेड को दुनिया में बसों की सबसे बड़ी परेड होने के लिए गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड की किताब में शामिल किया गया था।
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2019 में प्रयागराज (इलाहाबाद) में मेला परिषद के पदाधिकारियों और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के प्रतिनिधियों की समन्वय बैठक। कुंभ मेले के आयोजन में बहुत तैयारी की ज़रुरत होती है, जैसे शाही स्नान के क्रम का निर्धारण करना, भीड़ को नियंत्रित करना, सुरक्षा और स्वच्छता का ध्यान रखना आदि का पर्यवेक्षण मेला प्रशासन को अत्याधिक सावधानीपूर्वक करना पड़ता है।
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2019 के प्रयाग कुंभ में सुरक्षा बलों द्वारा आयोजित मॉक ड्रिल। कुंभ मेले में सुरक्षा और भीड़ के प्रबंधन का प्रमुख महत्व है।
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2019 में प्रयागराज कुंभ में ‘टेंट सिटी’ का रात के समय में दृश्य। श्रद्धालुओं के लिए आधुनिक सुविधाओं और सुख-सुविधाओं से लैस करीब चार हज़ार टेंटों की व्यवस्था की गई थी।
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‘वाटर पॉइंट’ से गुज़रते हुए एक साधु और दूसरी ही ओर एक अस्थायी आश्रय के पास एक ग्राहक की दाढ़ी बनाते नाई की एक तस्वीर। (2019)
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प्रयाग कुंभ, 2019 में सफाई कर्मचारियों की हाज़िरी । श्रद्धालुओं के लिए स्वच्छ मेले का अनुभव सुनिश्चित करने के लिए मेले के प्रशासन द्वारा दस हज़ार से अधिक सफाई कर्मचारी तैनात किए गए थे।
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कुंभ मेले में नदी के किनारों और लोगों को जोड़ता एक पीपों का पुल। नदियों के पार लोगों, जानवरों और वाहनों को दूसरी ओर ले जाने के लिए इस प्रकार के 22 पीपों के पुलों का निर्माण किया गया था ।
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2019 के प्रयाग कुंभ में संगम के तट पर सुबह की आरती। अद्वितीय आस्था के साथ, अनगिनत लोग कुंभ मेले में पहुँचने के लिए हज़ारों मील की यात्रा करते हैं ।
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फिर मिलेंगे! 2019 के प्रयाग कुंभ में एक पीपों के पुल पर एकत्रित लोग। कुंभ मेला लोगों के लिए एक दुसरे से मिलने-जुलने और जुड़ने के लिए एक महीने से भी अधिक समय तक एक अस्थायी स्थल बन जाता है। जब कुंभ मेला समाप्त होता है सभी श्रद्धालुओं के लिए यह एक खट्टा-मीठा एहसास होता है, परंतु वे जानते हैं कि अगला कुंभ मेला भी बहुत दूर नहीं।