Type: सुषिर वाद्य
पिल्लगोवी बाँस से बना एक वायु वाद्य यंत्र। ऐसा माना जाता है कि इसका आविष्कार भगवान श्रीकृष्ण ने किया है तथा यह दक्षिण भारत में पाया जाता है।
Material: बाँस
पिल्लगोवी बाँस से बना होता है और इसको मुरली के नाम से भी जाना जाता है, और पारंपरिक रूप से ऐसा माना जाता है कि इसका आविष्कार भगवान श्रीकृष्ण ने किया था, जिन्हें आमतौर पर इसे धारण किए हुए या इसे बजाते हुए दर्शाया जाता है। इस यंत्र को कभी-कभी बाँसुरी का नाम भी दिया जाता है। इसके स्वर नीचे और मधुर होते हैं, और यह वाद्य यंत्र हमेशा धीरे से बजाया जाता है; वास्तव में, कर्णभेदी स्वर इस वाद्य यंत्र पर उत्पन्न नहीं किए जा सकते हैं। यह वाद्य यंत्र काफी हद तक ग्रामीण प्रकृति का है और इसे गड़ेरियों तथा चरवाहों द्वारा बहुधा उपयोग किया जाता है। गाँव की कई सरल धुनों और रागों को, जब इस वाद्य यंत्र पर बजाया जाता है, तो उनमें अद्भुत आकर्षण होता है।