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पावरी

Type: सुषिर वाद्य

“पावरी गाय के सींग, लकड़ी, और सूखी तूमड़ी से निर्मित एक वायु वाद्य यंत्र है। यह जनजातीय वाद्य यंत्र महाराष्ट्र में पाया जाता है। यह स्वदेशी वाद्य यंत्र सामान्यतः उतना प्रचलित नहीं है और केवल जनजाति के भीतर ही इसे बजाया और सीखा जाता है।“



महाराष्ट्र में पावरी

Material: लकड़ी, सूखी तूमड़ी, गाय का सींग

“एक वायु वाद्य यंत्र जिसे 'तारफ़ा' के नाम से भी जाना जाता है। यह सींग नली (हॉर्न पाइप) का एक प्रकार है जो सामान्यतः लंबाई में तीन से चार फ़ीट की होती है। यह पारंपरिक रूप से महाराष्ट्र की कोकणा और गुजरात की डांग जनजाति से संबंधित है। एक द्वि कंपिका वायु नली जिसमें तले की ओर छह छिद्र होते हैं। इसे सामान्यतः पुंगी का एक बड़ा संस्करण माना जाता है। यह वाद्य यंत्र स्थानीय रूप से उगाए गए वृक्षों की लकड़ी से बना होता है और इसके अर्ध ऊपरी हिस्से में एक चोंच जैसी चित्रित संरचना जुड़ी होती है। इस वाद्य यंत्र से उत्पन्न ध्वनि भारतीय के साथ-साथ यूरोपीय संगीत के स्वरों से भी मिलती है। पावरी को मुख्यतः कोकणा जनजाति के शादी समारोहों और डांगी जनजाति के डांग दरबार (होली के समय मनाया जाने वाला तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव) उत्सव में मुख्य रूप से उपयोग किया जाता है। यह स्वदेशी वाद्य यंत्र सामान्यतः उतना प्रचलित नहीं है और केवल जनजाति के भीतर ही इसे बजाया और सीखा जाता है।“