Type: घन वाद्य
पैजनी धातु का बना हुआ ठोस वाद्य यंत्र है। यह उत्तर प्रदेश में पाया जाता है, यह घुंघरुओं के आलंकारिक उपयोग को दर्शाता एक उदाहरण है।
Material: धातु
आमतौर पर लोहे की गोलियों (एक या अधिक) से युक्त घंटा धातु से बना होता है। झटके द्वारा खोखली गुहा के भीतर गोलियों को गति प्रदान की जाती है, जिससे तेज ध्वनि उत्पन्न होती है । यह गोल आकार का होता है मगर निचले हिस्से में एक एकल या दोहरे आड़े चीर में खुला होता है। भारतीय संगीत और नृत्य के लिए, बजने वाली घंटियों (विभिन्न भारतीय भाषाओं और बोलियों में कई नामों से जानी जाती हैं) का अत्यधिक महत्व है। इसके उपयोग उतने ही भिन्न हैं जितनी भिन्न इसकी आकृतियाँ और आकार होते हैं। पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में, इसके फैलाव और इसके प्रचुर उपयोग में, मानव और पशु दोनों दुनिया में समान हिस्सेदारी है। एकल लोहे की गोली वाली बड़ी बजने वाली घंटियों के शीर्ष पर मुड़े हुए छल्ले होते हैं और पालतू जानवरों की गर्दन के चारों ओर एक सूती धागे में पिरोई जाती हैं। जानवरों के अनुरूप रहने के लिए ये आकार और आकृति में भिन्न होती हैं और आमतौर पर अकेले पहनी जाती हैं। कभी-कभी उनमें से कई घंटियों को बैलगाड़ियों और घोड़ों के साज-सज्जा वाले चमड़े के पट्टे पर भी सजाया जाता है। इन घंटियों का उपयोग, जानवरों के लिए उपयोगितावादी और सजावटी दोनों तरह से होता है। इसका मुख्य उपयोग नृत्य प्रदर्शन में होता है। घंटियों का एक गुच्छा लंबी डोरी में या चमड़े के पट्टे से बाँध दिया जाता है। टखने के चारों ओर पहना जाता है, जिससे पैरों की हरक़त या नृत्य कदम को एक 'संगीतमय ध्वनि' मिलती है और ये स्वयं लयबद्ध अभिव्यक्ति प्रदान करता है। घुंघरू और भारतीय नृत्य अविभाज्य हैं। पैजनी घुंघरुओं के आलंकारिक उपयोग को दर्शाता एक उदाहरण है।