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मंदार

Type: अवनद्ध वाद्य

“मंदार चर्मपत्र, चमड़े और चावल केे लेप से निर्मित ताल वाद्य यंत्र है जो बिहार में पाया जाता है। यह द्वि मुखी ढोल मुख्य रूप में समूह गायन में लयात्मक संगत के लिए प्रयोग किया जाता है। इसे रंगीन कपड़े से ढका जाता है।"



बिहार में मंदार

Material: चर्मपत्र, चमड़ा, चावल का लेप

“द्वि मुखी ढोल। इसके दोनों किनारे चर्मपत्र से ढके और दोनों छोरों पर चमड़े के छल्लों द्वारा चमड़े की रस्सियों से बँधे होते हैं। दायाँ भाग काले लेप से लीपा हुआ होता है जबकि बायाँ भाग चावल के लेप से उपचारित होता है। खोल को चमड़े की पट्टियों से चारों तरफ से ढका जाता है। चमड़े की रस्सी को गर्दन पर क्षैतिज रूप से टाँगकर और दोनों हाथों से बजाया जाता है। यह वाद्य यंत्र लयबद्ध संगत के लिए समूह गायन में उपयोग किया जाता है। इसे एक रंगीन कपड़े से ढका जाता है।”