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कोलम: तमिल नाडु के अनुष्ठानिक देहरी चित्र और डिज़ाइन

Domain:पारंपरिक शिल्पकारिता

State: तमिलनाडु

Description:

कोलम घरों और मंदिरों की देहरियों पर बने अनुष्ठानिक डिज़ाइनों को कहते हैं। यह तमिल नाडु, कर्णाटक, आंध्र प्रदेश और केरल में लोकप्रिय है। यह भारत के अन्य राज्यों में बसे दक्षिण भारतियों द्वारा भी बनाया जाता है। यह दक्षिण भारत की महिलाओं द्वारा, जिन्होंने इस परंपरा को अपने बुजुर्गों से सीखा है, रोज़ सुबह और शाम बनाया जाता है। कोलम एक प्रकार का जाल माना जाता है जो हानिकारक आत्माओं को फंसा लेता है और उनसे होने वाली हानि को रोक देता है। कोलम, त्योहारों, ऋतुओं और जन्म, पहले रजोधर्म और विवाह जैसे महिला जीवन के महत्वपूर्ण अवसरों को चिह्नित करता है। कोलम एक सकारात्मक उर्जा के घेरे की ओर संकेत देता है जो स्त्रियोचित शक्ति से उत्पन्न होती है और जिससे आतंरिक गृह स्थली और बाहरी दुनिया पर असर पड़ता है। कोलम, सममितीय और साफ़ ज्यामितीय पैटर्न सहित एक मुक्त-हस्त चित्र कला है। ये रेखा चित्र बहुत ही वैचारिक होते हैं और लोगों की सांस्कृतिक स्मृति में डिज़ाइनों का भंडार जमा होता है। कोलम गणितीय बिंदुओं से अंकित जाली के ऊपर बनाया जाता है। बिंदुओं के इर्द-गिर्द बुनी गैर सीधी रेखाओं की कई गांठों या बिंदुओं को एक सजावटी डिज़ाइन में जोड़ती रेखाओं द्वारा कोलम बनाया जाता है। कोलम ने अपनी गणितीय अमूर्तता, ज्यामितीय आकारों और दोहराई जाने वाली इकाइयोँ के अंदर पक्षियों, जानवरों, तितलियों और एक दूसरे से लिपटे साँपों को स्थान दिया है। कोलम की भ्रामक रूप से सरल गृह कला उतनी ही जटिल और वैचारिक है जितनी जैकार्ड की बुनाई या इस्लामीय टाइल डिजाइन। इसकी तुलना रोमानी फर्श पच्चीकारी और केल्टिक इंटरलेस से भी की गयी है।