Domain:सामाजिक प्रथाएँ, अनुष्ठान एवं उत्सवी कार्यक्रम
State: बिहार
Description:
सलहेश सामाजिक रूप से अधिकारहीन और पददलित दुसाध दलित समुदाय के प्रमुख देवता हैं। सलहेश का त्योहार समुदाय को पहचान, सामाजिक संसंजन और आत्म सम्मान प्रदान करता है। यह हर वर्ष बिहार के मिथिला क्षेत्र में श्रावण (वर्षा ऋतु) के शुभ महीने के दौरान मनाया जाता है। त्योहार के मुख्य घटक लोकगीत, अनुष्ठान, शिल्पकारिता और प्रदर्शन कला हैं। संपूर्ण त्योहार में सम्मिलित ज्ञान और कौशल मौखिक परंपरा के माध्यम से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को स्थानांतरित किए जाते हैं। एक पुजारी (भगत) द्वारा अनुष्ठान किए जाते हैं। अनुष्ठानों में, कलाकार (मनारिया) संगीत और नृत्य के माध्यम से सलहेश की कथा का अभिनय करते हैं जिसमें भगत की मुख्य भूमिका होती है। प्रदर्शन में वाद्य संगीत, स्थानीय भाषा में गीतों का गायन, नृत्य, कलाबाजी और प्रतीकात्मक आंगिक अभिनय सम्मिलित हैं। देवता को टेराकोटा के बने घुड़सवारों का मन्नत के रूप में चढ़ावा चढ़ाने के साथ यह त्योहार संपन्न होता है। यह सांस्कृतिक विरासत खो जाने की आशंका है क्योंकि युवा पीढ़ी अधिक लाभप्रद और सम्मानजनक व्यवसायों को वरीयता देती है। इस प्रथा के संरक्षण के लिए कुछ उपाय राज्य, कला पारखी और समुदाय ने स्वयं किए हैं, ताकि इस समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के बारे में जागरूकता पैदा की जा सके|