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राठवा नी घेर : राठवों का कबायली नृत्य

Domain:प्रदर्शन कला

State: गुजरात

Description:

गुजरात प्रदेश के दक्षिण-पूर्वी हिस्से के पहाड़ी क्षेत्र, राठ-विस्तार, में रहने वाले राठवा होली (रंगों का त्यौहार) के अवसर पर, जिसे जहाँ होली का आनंदोत्सव मनता है उस जगह के नाम पर कवंत भी कहा जाता है, राठवा नी घेर नृत्य करते हैं। यह गुजरात के दक्षिण-पूर्वी हिस्से के वड़ोदरा जिले के उदेपुर, कंवंत और पविजेतपुर तालुकों (उप खंड), और पंचमहल जिले के जम्बुघोडा, नारुकोट, और घोघम्बा तालुकों (उप खंड) में लोकप्रिय है। घेर नृत्य (संगीत के साथ नृत्य) के प्रदर्शन धुलेंदी, यानि कि रंगीन धूल उड़ाने के दिन, पर आरंभ होते हैं। इस दिन लोग एक दूसरे पर रंगीन पाउडर पोतते हैं। आमोद-प्रमोद पाँच दिनों तक चलता है जिसके दौरान राठवा व्रत रखते हैं और पलंगों पर सोने, कपड़ों की धुलाई और नहाने जैसे काम नहीं करते हैं। २० से २५ के गुटों में, दोनों पुरुष और महिलाएँ, इस नृत्य को करते हैं। पूरे गाँव के लोग और पड़ोस के क्षेत्र के लोग इस आनान्दोत्सव में हिस्सा लेते हैं। ऋतुओं के चक्र से जुड़े कई अवसरों पर राठवों द्वारा नाचे जाने वाले सभी नृत्यों में राठवा नी घेर सबसे अधिक उत्कृष्ट, रंग-बिरंगा और शानदार नृत्य है। गहन शृंगार, एक साथ चलने वाले कदम, नाचनेवालों का तेज़ी से गोल घूमना और देशज संगीत वाद्यों से निकली मंत्रमुग्ध कर देने वाली संगीत रचना यह प्रदर्शित करती है कि यह नृत्य शैली कितनी प्राचीन और सुसंस्कृत है। यह परंपरा राठवों द्वारा अपने धर्म, सांस्कृतिक पहचान और प्रकृति को समझने के लिए एक रचनात्मक अभिव्यक्ति है।