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ओग्गुकथा पारंपरिक लोक नाट्यकला

Domain:प्रदर्शन कला

State: आंध्र प्रदेश

Description:

ओग्गुकथा एक पारंपरिक लोक नाट्यकला है जो तेलुगु भाषी क्षेत्रों का एक प्राचीन कथा वाचन का प्रारूप है। इसका नाम - ओग्गु - भगवन शिव से सम्बंधित एक छोटे हाथ से बजाने वाले डमरू से लिया गया है और यथाशब्द इसका मतलब ओग्गु-कथा है। यह दक्कन के पठार के कुरुमा और गोल्ला (यादव) जैसे चरवाह समुदायों द्वारा किया जाता है। ये परंपरा-प्रेमी और रस्म-रिवाजों को प्रदर्शित करने वाली नाट्य-मंडलियाँ अपनी अपनी जातियोँ के देवताओं की कहानियाँ सुनाती हुई एक जगह से दूसरी जगह जाती हैं। ओग्गु पुजारी यादवों के पारंपरिक पुजारी होते हैं और वे मल्लान्ना और भ्रमरम्बा का विवाह संपन्न कराते हैं। ओग्गुकथा के अभिनय की विषयवस्तु हिंदू पौराणिक कथाओं से लेकर समाज के आम मुद्दे होते हैं। आज १०० से भी अधिक ओग्गुकथा समूह हैं और प्रत्येक में ४ से ६ कलाकार हैं। स्वर्गीय मिद्दे रामुलु और चुक्का सतैय्याह सबसे प्रसिद्ध कलाकार थे जिन्होंने इस कला को बहुत लोकप्रिय बनाया। इसके प्रदर्शन और प्रशिक्षण में दस प्रकार की गायन शैलियाँ, नृत्य भंगिमाएं, श्रृंगार, वाद्य-यंत्रों से संगीत का अनूठा वाद्यवृंदकरण, इत्यादि शामिल हैं। इस कला में आशुरचना और कल्पना दो और मुख्य महत्वपूर्ण तत्त्व हैं। इसी कारण से इसे सीखने की प्रक्रिया बहुत कठिन और बहुत अधिक समय लेने वाली है। जैसे जैसे समय बदल रहा है इस प्राचीन परंपरा में कई बदलाव आ रहे हैं और इसको नई पीढी को सौंपने हेतु इस कला के शिक्षण और प्रशिक्षण पद्धतियोँ की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। प्रचलित अनौपचारिक शिक्षण और प्रशिक्षण प्रणालियों के आलोचनात्मक विश्लेषण सहित इस पपरंपरा के प्रदर्शन के प्रलेखन की भी आवश्यकता है।