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मुडियेट्टु - अनुष्ठानिक नाट्य कला और नृत्य नाटक

Domain:प्रदर्शन कला

State: केरल

Description:

 

मुडियेट्टु केरल की अनुष्ठानिक नाट्य कला शैली है जो काली देवी और दारिक नामक दुष्ट राजा के बीच हुए युद्ध की पौराणिक कथा पर आधारित है। इसका प्रदर्शन भारत के केरल राज्य के निम्नलिखित चार जिलों में होता है जो एक समय में त्रावणकोर और कोचीन की प्राचीन रियासतों में शामिल थे: एर्नाकुलम, त्रिस्सुर, कोट्टायम, और इड्डुकी। मुख्य रूप से मरार और कुरुप्पु समुदायों द्वारा प्रदर्शित किया जाने वाला यह एक सामूहिक अनुष्ठान है जिसमें पूरा गाँव भाग लेता है। गर्मियों की फसल की कटाई के बाद पूरा गाँव एक निश्चित दिन पर सुबह सुबह मंदिर पहुँच जाता है। मुडियेट्टु के पारंपरिक कलाकार, व्रत रखने और देवी की प्रार्थना करने से शुद्ध होकर, मंदिर की ज़मीन पर चावल के आटे से देवी काली का एक बड़ा तांत्रिक चित्र बनाते हैं। समय के साथ काली की प्रशंसा के उच्चारण की परंपरा एक जीवंत संगीत रूप में परिवर्तित हो गई है जो पंचवं कलम (देवी को दर्शाता हुआ ज़मीन पर पांच रंगों से बना चित्र) के साथ गयी जाती है। इसे ज़मीन पर इसलिए बनाया जाता है ताकि कलाकार देवी की आत्मा को आत्मसात कर सकें। प्रदर्शन में एक नाटकीय मोड़ तब आता है जब, पूर्वीय पहाड़ियों से दारिक काली को लड़ाई की चुनौती देता है। भगवान शिव (एक हिंदू भगवान) के तीसरे नेत्र से जन्मी, काली उसका जवाब देती हैं। बुराई की इस लड़ाई में विदूषक, कूली, और कोइमपड़ा नायर, पंच भूत (पाँच तत्त्व) के मुखिया, देवी के सहयोगी बन जाते हैं। मंदिर प्रांगण एक युद्ध भूमि में बदल जाता है और गाँववाले इस अनुष्ठानिक नाट्य उतसव के प्रतिभागी। अंत में काली अपने दुश्मन को हरा देती हैं और विजय नृत्य करती हैं। भक्तगण देवी की जयजयकार करते हैं और एक शांतिपूर्ण और समृद्ध नए वर्ष के उदय का स्वागत करते हैं।