Sorry, you need to enable JavaScript to visit this website.

डंग-एर-पुतुल (डांग-एर-पुतुल)

Domain:प्रदर्शन कला

State: पश्चिम बंगाल

Description:

पश्चिम बंगाल में लोक कठपुतली कला को पुतुल नाच (पुतुल ‘कठपुतली’ और नाच का अर्थ है ‘नृत्य’) कहा जाता है। यह पश्चिम बंगाल के दक्षिणी परगना और सुंदरबन में फैला देशज, सड़क पर दिखाने वाला कठपुतली का खेल है। कठपुतलियाँ तीन से साढ़े तीन फीट ऊँची होती हैं जिन्हें चार से पाँच फीट लंबे डंडे के सिरे पर रखा जाता है। इसके बाद डंडे को एक खोखली बांस की नली जो छह से सात इंच लंबी होती है, के ऊपर रखा जाता है, जो प्रदर्शन के दौरान कमर के चारों ओर पहनी जाती है। कठपुतली कला के शुरुआती चरण में, ये कठपुतलियाँ भारी होती थीं क्योंकि उनके सिर और कंधे मिट्टी से बने होते थे, जिससे कठपुतलियों को चलाने में कठिनाई होती थी। बाद मे, आसानी से चलाने के लिए कठपुतलियाँ हल्की लकड़ी से बनाई जाने लगीं।खेल का विषय अधिकतर महाकाव्यों, रामायण और महाभारत के इर्द-गिर्द घूमता रहता था। पिछले कुछ दशकों से, यह पश्चिम बंगाल के जात्रा लोक रंगमंच से बहुत तेज़ी से प्रभावित हुआ है। जात्रा के अतिरिक्त, लोग सामाजिक मुद्दों जैसे दहेज और अन्य सामाजिक बुराइयों पर भी अपने आलेख लिखते हैं। पहले समाज, महिलाओं को कठपुतली खेल में भाग लेने की अनुमति नहीं देता था। बढ़ती शिक्षा के साथ, कला प्रदर्शन में महिलाओं के लिए सामाजिक अवसर खुल गए हैं।