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आगरा घराना भाग-२

Domain:प्रदर्शन कला

State: उत्तर प्रदेश

Description:

आगरा घराना हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की एक अद्वितीय परंपरा का प्रतिनिधित्व करता है। इसकी रचनाएँ उनके गेय सौंदर्य और संगीत सामर्थ्य के लिए भी उल्लेखनीय मानी जाती हैं। रागों की बंदिशें ब्रज संस्कृति, अर्थात् भगवान कृष्ण और उनकी मनोहर लीलाओं से प्रभावित हैं, जो आगरा घराने की गायकी का सबसे आकर्षक हिस्सा हैं। इस घराने के प्रसिद्ध गायकों में से एक उस्ताद विलायत हुसैन खाँ हैं जिन्होंने 'प्राण पिया' उपनाम के तहत अनेक बंदिशों की रचना की थी। एक और भारतीय शास्त्रीय गायक उस्ताद शराफ़त हुसैन खाँ थे। वे तीन घरानों - आगरा, अतरौली और रंगीले – के ज्ञान के मार्ग दर्शक बनें। खादिम हुसैन खाँ साहब एक महान हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक और गीतकार भी थे। उन्होंने आगरा घराने की छत्र-छाया के तहत लगभग १५० बंदिशों की रचना की थी। उन्होंने गायन के साथ कविता पर भी ज़ोर दिया। आगरा घराना सभी पाँच स्वरों का उपयोग करता है, जबकि अन्य घराने गाते समय केवल दो-तीन स्वरों का उपयोग करते हैं। यह ध्रुपद और धमार की शैलियों को भी जोड़ता है। आगरा घराने में बोल का उच्चारण इसे गायकी का असाधारण और महान रूप देता है। उच्चारण केवल स्वर की स्पष्टता तक ही सीमित नहीं है, बल्कि शब्दांश भी है। आगरा घराने के गायकी में बोलों की रचना और विस्तार पैटर्न में बंधे हुये हैं। इस घराने के शिक्षक अपने शिष्यों को घराने की शैली और शुद्धता से संबंधित बंदिश गाने के लिये आवश्यक तकनीकों और विविधताओं के साथ प्रशिक्षित करते हैं। आगरा घराने में उच्चारण, ताल में विवधिता और लय, कलाकार की निपुणता को दर्शाते हैं।