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भारत के ताल वाद्य

Domain:प्रदर्शन कला

State: संपूर्ण भारत

Description:

यह संगीत नाटक अकादमी के अभिलेखागार से एक प्रस्तुति है। रिकॉर्डिंग में दिखाए गए विभिन्न ताल वाद्य पखावज, तबला, मृदंग, घटम, थविल, खंजीरा, एडका, चेंदा, मिझावु, नक्कारा, संबल, कार्दी, ताल, डिमडी, ढोलक, मोरचंग, बदंगशी, भपंग, मान, खरताल, पुंग, मंदार, दुप, करदी मजलु और तायंबका हैं। ये भारत के सबसे पुराने कुछ ज्ञात वाद्ययंत्र हैं। ताल वाद्य संपूर्ण भारत में अधिकांश संगीत समूहों में पाए जाते हैं। यहाँ दिखाये गये वाद्य देश के अलग-अलग हिस्सों से हैं। जबकि पखावज और तबला उत्तर भारत के हैं, मृदंग और घटम दक्षिण भारत के हैं। इस वीडियो में वाद्य वादक हैं - पखवाज- दुर्गा लाल, तबला - समता प्रसाद और महालिंग्यय मातापति, मृदंग- उमायलपुरम के. शिवरामन, घाटम- टी एच विनायक्रम, थवील- शानमुगसुंदरम पिल्लई, खंजीरा - जी हरिशंकर, एडका- पी अप्पू मरार, चेंदा – के पी कृष्णन कुट्टी पोडुवल, मिझावु- अज्ञात, नक्कारा - दिलावर हुसैन खान, संबल- सदाशिव होगर, करडी- वीरभांडप्पा आर करडी, डिमडी - अवधूत विभूति, ढोलक- बाबूलाल, मोरचंग- कम्मु खान, बदंगशी-रतनचंद्र बर्मन, भपंग- जहूर खान, मान- धार्मिकलाल पंड्या, खरताल- सिद्दीकी मंगनियार, पुंग- कीर्ति सिंग, मंदार- अज्ञात, डुप- अज्ञात, करडी मजली- वीरभद्रप्पा आर करडी और समूह, तायंबका- पी अप्पू मरार और समूह।