Domain:ब्रह्मांड और प्रकृति से संबंधित ज्ञान और प्रथाएँ
State: अरुणाचल प्रदेश
Description:
सोवा-रिग्पा भोटी भाषा का शब्द है जिसका मतलब ‘उपचार का ज्ञान’ है। यह एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली है जो भगवन बुद्ध द्वारा संकल्पित और प्रतिपादित की गई थी और बाद में परा-हिमालयी क्षेत्र में विकसित की गई। सोवा-रिग्पा २५०० वर्ष पूर्व भारत में उत्पन्न हुआ और ८वीं सदी ईसवी में परा-हिमालयी क्षेत्र में लाया गया। तब से, यह भारत के परा-हिमालयी क्षेत्र के धर्मनिरपेक्ष और मठीय संदर्भ में प्रचलित गुरु-शिष्य-वंश (परिवार वंश सहित) द्वारा प्रचारित और प्रसारित किया गया है।सोवा-रिग्पा भोटी भाषा का शब्द है जिसका मतलब ‘उपचार का ज्ञान’ है। यह एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली है जो भगवन बुद्ध द्वारा संकल्पित और प्रतिपादित की गई थी और बाद में परा-हिमालयी क्षेत्र में विकसित की गई। सोवा-रिग्पा २५०० वर्ष पूर्व भारत में उत्पन्न हुआ और ८वीं सदी ईसवी में परा-हिमालयी क्षेत्र में लाया गया। तब से, यह भारत के परा-हिमालयी क्षेत्र के धर्मनिरपेक्ष और मठीय संदर्भ में प्रचलित गुरु-शिष्य-वंश (परिवार वंश सहित) द्वारा प्रचारित और प्रसारित किया गया है। सोवा-रिग्पा भोटी भाषा का शब्द है जिसका मतलब ‘उपचार का ज्ञान’ है। यह एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली है जो भगवन बुद्ध द्वारा संकल्पित और प्रतिपादित की गई थी और बाद में परा-हिमालयी क्षेत्र में विकसित की गई। सोवा-रिग्पा २५०० वर्ष पूर्व भारत में उत्पन्न हुआ और ८वीं सदी ईसवी में परा-हिमालयी क्षेत्र में लाया गया। तब से, यह भारत के परा-हिमालयी क्षेत्र के धर्मनिरपेक्ष और मठीय संदर्भ में प्रचलित गुरु-शिष्य-वंश (परिवार वंश सहित) द्वारा प्रचारित और प्रसारित किया गया है। सोवा-रिग्पा भोटी भाषा का शब्द है जिसका मतलब ‘उपचार का ज्ञान’ है। यह एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली है जो भगवन बुद्ध द्वारा संकल्पित और प्रतिपादित की गई थी और बाद में परा-हिमालयी क्षेत्र में विकसित की गई। सोवा-रिग्पा २५०० वर्ष पूर्व भारत में उत्पन्न हुआ और ८वीं सदी ईसवी में परा-हिमालयी क्षेत्र में लाया गया। तब से, यह भारत के परा-हिमालयी क्षेत्र के धर्मनिरपेक्ष और मठीय संदर्भ में प्रचलित गुरु-शिष्य-वंश (परिवार वंश सहित) द्वारा प्रचारित और प्रसारित किया गया है। सोवा-रिग्पा भोटी भाषा का शब्द है जिसका मतलब ‘उपचार का ज्ञान’ है। यह एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली है जो भगवन बुद्ध द्वारा संकल्पित और प्रतिपादित की गई थी और बाद में परा-हिमालयी क्षेत्र में विकसित की गई। सोवा-रिग्पा २५०० वर्ष पूर्व भारत में उत्पन्न हुआ और ८वीं सदी ईसवी में परा-हिमालयी क्षेत्र में लाया गया। तब से, यह भारत के परा-हिमालयी क्षेत्र के धर्मनिरपेक्ष और मठीय संदर्भ में प्रचलित गुरु-शिष्य-वंश (परिवार वंश सहित) द्वारा प्रचारित और प्रसारित किया गया है। सोवा-रिग्पा भोटी भाषा का शब्द है जिसका मतलब ‘उपचार का ज्ञान’ है। यह एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली है जो भगवन बुद्ध द्वारा संकल्पित और प्रतिपादित की गई थी और बाद में परा-हिमालयी क्षेत्र में विकसित की गई। सोवा-रिग्पा २५०० वर्ष पूर्व भारत में उत्पन्न हुआ और ८वीं सदी ईसवी में परा-हिमालयी क्षेत्र में लाया गया। तब से, यह भारत के परासोवा-रिग्पा का पारंपरिक कार्य विशेष तौर पर अमची परिवारों द्वारा सदियों से किया जा रहा है, और कुछ मामलों में यह गुरु से उसके शिष्य को हस्तांतरित किया गया है। अमची पिता अथवा गुरु अपने शिष्यों को सिखाता है और युवा अमची को, अपनी शिक्षा समाप्त होने पर, विशेषज्ञ अमचियों (परीक्षकों) के समक्ष सामुदायिक-परीक्षा देनी पड़ती है। परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद अमची सोवा-रिग्पा चिकित्सा का संरक्षक बन जाता है। -हिमालयी क्षेत्र के धर्मनिरपेक्ष और मठीय संदर्भ में प्रचलित गुरु-शिष्य-वंश (परिवार वंश सहित) द्वारा प्रचारित और प्रसारित किया गया है। सोवा-रिग्पा का पारंपरिक कार्य विशेष तौर पर अमची परिवारों द्वारा सदियों से किया जा रहा है, और कुछ मामलों में यह गुरु से उसके शिष्य को हस्तांतरित किया गया है। अमची पिता अथवा गुरु अपने शिष्यों को सिखाता है और युवा अमची को, अपनी शिक्षा समाप्त होने पर, विशेषज्ञ अमचियों (परीक्षकों) के समक्ष सामुदायिक-परीक्षा देनी पड़ती है। परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद अमची सोवा-रिग्पा चिकित्सा का संरक्षक बन जाता है।