सर्वव्यापी जीरा
जीरा एक ऐसा मसाला है जो लगभग कुछ हज़ार सालों से उपयोग में है। स्पेनी भाषा में कोमीनो के रूप में जाना जाने वाला, जीरा, क्यूमिनम सायमीनम नामक जड़ी-बूटी का सूखा बीज होता है, और यह गाजर या अजमोद परिवार का एक सदस्य है। ऐसा कहा जाता है कि पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र के लेवांट क्षेत्र में इसकी उत्पत्ति हुई थी। दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व में यह सीरिया में भी पाया गया था। वास्तव में, यूनानियों ने तो जीरे को खाने की मेज़ पर ऐसे रखना शुरू कर दिया था जैसे आज हम काली मिर्च रखते हैं, और यह परंपरा मोरक्को में आज भी जारी है। तथ्य यह है कि जीरा आज दुनिया में दूसरा (पहला काली मिर्च है) सबसे लोकप्रिय मसाला है। भारत दुनिया के जीरे की कुल आपूर्ति का लगभग 70% उत्पादन करता है और इस उत्पादन का 90% उपभोग भी करता है! निस्संदेह, यह हमारे देश का सबसे पसंदीदा मसाला है।
कृषि
गर्म और लंबे ग्रीष्मकाल के साथ-साथ, उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में जीरा सबसे अच्छी तरह उगता है। भारत में, मुख्य रूप से गुजरात और राजस्थान में इसे रबी की फसल के रूप में उगाया जाता है। इतिहास का एक बहुमूल्य पौधा होते हुए, जीरे की खेती लगभग 4000 वर्षों से होती आ रही है।
जीरा का कड़वा परंतु विशिष्ट गर्म स्वाद होता है जो उसे सूखा भूनने पर और बढ़ जाता है। दिलचस्प है कि भूने हुए जीरे का स्वाद साबुत जीरे से ज़्यादा तेज़ होता है। जीरा उगाना कोई बड़ा काम नहीं है। हालांकि यह बारहमासी पौधा है, फिर भी, यह उच्च स्तर की आर्द्रता या अत्यधिक वर्षा सहन नहीं कर सकता है। यह बीज के द्वारा उगाया जाता है और इसकी वानस्पतिक उम्र बहुत कम होती है। यह पौधा आमतौर पर लगभग 15 से 50 सेमी ऊँचा होता है। इसमें एक पतला और चिकना तना होता है जो या तो धूसर या हरे रंग का होता है। इसके तने में से कई शाखाएँ निकलती हैं जो कि तने की ऊँचाई तक ही बढ़ जाती हैं।
खुशबूदार बीज-जैसा फल लगभग 3 से 6 मिमी लंबा व अंडाकार होता है। बीज की बाहरी सतह में 8 लकीरें होती हैं। फूल सफ़ेद या गुलाबी रंग के होते हैं और छोटे-छोटे गुच्छों में उगते हैं। बीज को बोने के लगभग 120 दिन बाद फसल काटी जाती है और इसकी कटाई हाथ से की जाती है। अधिकांश जड़ी-बूटियों की तरह, जीरा सुबह के समय अपनी अधिकतम ऊँचाई पर होता है और इसलिए इसे उस वक़्त ही काटा जाना चाहिए। कटाई के बाद, बीज सुखाए जाते हैं। फिर उन्हें छाँट जाता है, साफ़ किया जाता जाता है, वर्गीकृत किया जाता है और फिर विसंक्रमित बोरियों में पैक किया जाता है। जीरे को बिल्कुल सूखे और अच्छे हवादार कमरों में रखा जाना चाहिए।
उपयोग
जीरा, इसके सूखे और चूर्ण दोनों रूपों में, भारतीय व्यंजनों में एक प्रधान तत्व है। दिलचस्प है कि साबुत जीरे का प्रयोग व्यंजन बनाने की शुरुआत में ही कर लेना चाहिए जिससे यह मसाले में अपना सत्व छोड़ सके। जीरे की तेज़ और विशिष्ट गंध उसमें उपस्थित आवश्यक तेलों के कारण है। यह कई प्रकार के करी पाउडर और गरम मसालों में एक सर्वोत्कृष्ट मसाले के रूप में पाया जाता है।
हालांकि, जीरा खाने में सिर्फ़ स्वाद जोड़ने से ज्यादा बड़ी भूमिका निभाता है। जीरे को पानी में उबाला जाता है, जिसका सेवन पाचन को आसान बनाने के लिए किया जा सकता है। जीरे से निकाले गए आवश्यक तेल स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छे होते हैं। वे रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करते हैं। वास्तव में, यह मधुमेह के लिए एक सिद्ध आयुर्वेदिक समाधान है। जीरे के बीज में जीवाणुरोधी, अर्बुदरोधी और प्रतिरक्षाजनी (इम्यूनिटी बूस्टिंग) गुण होते हैं। जीरे में कुछ पदार्थ लार के स्राव को आसान बनाते हैं और आंतों के एंज़ाइम को सक्रिय करते हैं। जीरे का उपयोग मंद भोजनेच्छा, हृदय रोग, बुखार, दस्त, उल्टी और फुलाव के उपचार में भी किया जाता है। एक बहुआयामी मसाला, जीरे में लोहे की मात्रा अपेक्षाकृत अधिक होती है और यह मैंगनीज, कैल्शियम, विटामिन बी 1 और फ़ास्फ़ोरस का एक अच्छा स्रोत है। यदि अच्छी खुराक में लिया जाए, तो कहा जाता है कि जीरा वजन घटाने के भी काम आता है। माना जाता है कि जीरा न केवल स्मरणशक्ति बढ़ाता है बल्कि तनाव को भी कम करता है। हाल के निष्कर्षों के अनुसार, जीरे का नियमित सेवन न केवल आपके स्वास्थ्य, बल्कि आपके जीवन में भी अनेक वर्ष जोड़ सकता है!