Sorry, you need to enable JavaScript to visit this website.

सौंफ़: एक बहुआयामी आरोग्यसाधक

फ़ीनेकुलुम वल्गारे, दुनिया भर की रसोइयों उपयोग की जाने वाली एक सामान्य जड़ी बूटी है। भारत में लोकप्रिय रूप से मीठी सौंफ़ या सौंफ़ के रूप में जाने जाने वाली, यह एक बारहमासी जड़ी बूटी है तथा गाजर प्रजाति से संबंधित है। इस प्राचीन बारहमासी जड़ी बूटी का इतिहास भूमध्यसागरीय क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। जंगली ढंग से उगने वाली यह जड़ी बूटी प्राचीन मिस्र, रोम, भारत और चीन के लोगों के बीच प्रसिद्ध थी। मध्य युग के दौरान, इसे पवित्र माना जाता था और बुरी आत्माओं को दूर भगाने के लिए लोगों द्वारा अपने दरवाज़ो पर लटकाया जाता था। प्राचीन रोम के लोग मोटापे को नियंत्रित करने के लिए भी इस बहुआयामी जड़ी बूटी का उपयोग करते थे। यह जड़ी बूटी अब पूरे यूरोप, उत्तरी अमरीका और ऑस्ट्रेलिया में प्राकृतिक रूप से उगाई जाती है तथा दुनिया भर के बगीचों में दिखाई देती है। सौंफ़ के पाक उपयोग इतने विविध हैं कि इसका सदियों से पूरी दुनिया में उपयोग किया जाता रहा है। आज, यह आधुनिक फ़्रांसीसी और इतालवी पाक कला का एक अपरिहार्य घटक है।

Fennel: The Multi-faceted Healer

सौंफ़ के बीज

Fennel: The Multi-faceted Healer

सौंफ़ के फूल

खेती

सौंफ एक बारहमासी जड़ी बूटी है और इसलिए यह हर तरह के मौसम और मिट्टी में उग सकती है। सौंफ़ में छोटे, पीले रंग के फूल आते हैं, और उनकी व्यवस्था ऐसी होती है कि प्रत्येक पुष्पछत्र में 20 से 50 फूल आते हैं। हालाँकि, इस पौधे का नकारात्मक पहलू यह है कि यह अत्यधिक तेज़ी से फैलने वाला खरपतवार है और यह पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचा सकता है। इसलिए, सौंफ़ और अन्य पौधों के बीच पर्याप्त दूरी बनाए रखना ज़रूरी है। सूर्य के प्रकाश में सौंफ़ का पौधा सबसे अच्छी तरह से उगता है। अनुकूल विकास के लिए मिट्टी का पोषक तत्वों में समृद्ध, नम और सु-अपवाहित होना अनिवार्य है। इसे बीज से उगाया जाता है, जिसे सीधा मिट्टी में बो दिया जाता है। लगभग 2 महीनों में सौंफ़ कटाई के लिए तैयार हो जाती है। सौंफ़ का पौधा इसके खाने योग्य टहनियों, पत्तियों और बीजों के लिए उगाया जाता है। वास्तव में, इस पौधे का प्रत्येक भाग ऑक्सीकरण रोधी तत्वों से भरपूर होता हैं। सौंफ़ की फसल की कटाई बीजों के पकने के तुरंत बाद और पौधों की पत्तियों के भूरा होने पर की जाती है। बीज काफी भुरभूरे होते हैं इसलिए इन्हें इकट्ठा करने का सबसे अच्छा तरीका है पौधों के नीचे बड़ा कटोरा या चादर बिछाकर बीजों के शीर्ष को हिलाया जाए। बीजों को पूरी तरह से सुखाया जाता है और फिर इन्हें हवाबंद डिब्बे में ठंडी और अँधेरी जगह में रखा जाता है। ये 6 महीनों तक खराब नहीं होते हैं।

उपयोग

सौंफ़ के बीज लंबे और पतले आकार और हल्के हरे अथवा भूरे रंग के होते हैं। अंकुरित बीजों को हल्का उबलकर सब्जी के रूप में सेवन किया जा सकता है। इसके कई पाक उपयोगों के अतिरिक्त, सौंफ़ के बीज के कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। पुरातन समय से, सौंफ़ का भोजन के उचित पाचन और अवशोषण के लिए आवश्यक पाचन स्राव को बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता रहा है। भोजन के बाद सौंफ़ के थोड़े से बीज चबाने से आपकी सांसें मीठी और तरोताज़ा हो जाएँगी। नियमित रूप से सौंफ़ की चाय पीने से शरीर से अतिरिक्त तरल पदार्थ बाहर निकल जाते हैं क्योंकि यह मूत्रवर्धक औषधी के रूप में कार्य करती है।

Fennel: The Multi-faceted Healer

बेहतर पाचन के लिए भोजन के बाद सौंफ़ के बीजों का सेवन किया जाता है

Pepper

सौंफ़ का सेवन मुखवास के रूप में भी किया जाता है

सौंफ़ पोटैशियम, सोडियम, फ़ॉस्फ़ोरस और कैल्शियम के उत्कृष्ट वनस्पति स्रोतों में से एक है और इसे हृदय के लिए लाभप्रद माना जाता है। सौंफ़ में काफी मात्रा में आहार योग्य रेशा और विटामिन होते हैं। इसका आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध, जैसी विभिन्न पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों और भारतीय और ईरानी वैकल्पिक चिकित्सा प्रणालियों में उपयोग किया जाता है। इसका खाँसी/सर्दी से लेकर गुर्दे की बीमारियों और कैंसर जैसी बहुत ही जटिल बीमारियों के उपचार के लिए उपयोग किया जाता है। इसका पशु चिकित्सा में भी कई तरह से उपयोग किया जाता है। भारत सौंफ के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है। सौंफ के प्रति इस देश के लोगों का प्रेम चिरकालिक है!