कलौंजी, एक आरोग्यकर मसाला
नाईजेला सटीवा, जिसे काला जीरा, कालो जीरा अथवा कलौंजी के नाम से भी जाना जाता है, रनुनकुलेसीआ वर्ग का एक वार्षिक फूलदार पौधा है। अंग्रेज़ी में इसे फ़ेनेल फ्लावर, ब्लैक केरावे, नटमेग फ्लावर तथा रोमन कोरिएंडर कहते हैं। लगभग 1000 वर्षों के इतिहास के साथ, कलौंजी का व्यापक रूप से औषधीय पौधे और खाने में मसाले के रूप में भी उपयोग किया जाता है। कलौंजी, जैसा कि इसे भारत में लोकप्रिय रूप से कहा जाता है, फूलदार पौधों की पीत पुष्प श्रेणी से संबंधित है और यह पूर्वी भूमध्यसागरीय, उत्तरी अफ़्रीका, भारतीय उपमहाद्वीप और पश्चिम एशिया के बड़े क्षेत्र का देशीय पौधा है। भारतीय रसोई में प्रायः इसका कई रूपों में उपयोग किया जाता है, जैसे कि कलौंजी का तेल, इसके भुने हुए बीज, कच्चे बीज, इत्यादि। कलौंजी का अपना ही मीठा और काष्ठफल (मेवा) जैसा स्वाद होता है।

कलौंजी के बीज
खेती
कलौंजी का पौधा, बाहर, साधारण मिट्टी में सबसे अच्छा उगता है। यह बीज से उगता है जिन्हें ज़मीन में लगभग 8 से 10 इंच गहरा बोया जाना चाहिए। जब ये पूरी तरह से विकसित हो जाते हैं तो इनकी ऊँचाई लगभग 2 फ़ीट होती है। ये पौधे तेज धूप में बहुत अच्छे से उगते हैं। पौधे के पूर्ण रूप से विकसित होने पर इसमें फूल खिलते हैं। पूरी तरह से खिले फूलों में बहुत ही हल्की नीले रंग की पंखुड़ियाँ होती हैं जो कुछ-कुछ तारे के आकार जैसी होती हैं। उन पर केवल पानी का छिड़काव ही करना चाहिए। ये पौधे नमी में अच्छी तरह से विकसित नहीं होते हैं और यदि देखभाल न की जाए तो पौधे के ऊपर कवक लग जाता है। काले जीरा की यदि समय पर कटाई नहीं की जाए, तो पौधों के मुरझा जाने सहित कई अन्य समस्याएँ हो सकती हैं। यह पौधा कुछ दिनों अथवा एक सप्ताह के अंदर ही मुरझा जाता है। रोपण के लगभग दो से तीन महीने बाद इसकी कटाई कर लेनी चाहिए। काले जीरे की कटाई करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पूरे फूल को काटा जाए। ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि सभी बीजों की कटाई हो जाए। बीजों को हवाबंद बैगों में भरने से पहले अच्छी तरह से सुखा लेना चाहिए। इनका पूरे एक साल तक भंडारण किया जा सकता है।

कलौंजी का पौधा

कलौंजी का फूल
उपयोग
पहले के समय में काले जीरे अथवा कलौंजी का उपयोग ब्रोंकाइटिस/श्वसन-शोथ से लेकर अतिसार तक, सब कुछ ठीक करने के लिए किया जाता था। यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि इसे प्रायः "आशीर्वाद का बीज" कहा जाता था। अध्ययनों से पता चला है कि कलौंजी के उच्च ऑक्सीकरण रोधी तत्व बीमारी से बचाने में मदद करते हैं। खाना पकाने में, कलौंजी एक बहुआयामी मसाला सिद्ध होता है- इसका ब्रेड, सलाद, बिस्कुट, पेस्ट्री और अन्य नमकीनों पर सजावट के रूप में उपयोग किया जाता है, और यह पारंपरिक व्यंजनों और अचारों का भी स्वाद बढ़ाता है। इसका काष्ठफल (मेवे) जैसा चटपटा स्वाद स्टू और शोरबे को स्वादिष्ट बना देता है। कलौंजी, दाल, साग तथा अन्य व्यंजनों में तड़का लगाने के लिए उपयोग किए जाने वाले पारंपरिक पाँच मसालों के मिश्रण, जिसे पंच फोरन कहा जाता है, का एक आवश्यक और अपरिहार्य घटक है। कलौंजी में पर्याप्त ऑक्सीकरण रोधी तत्व होते हैं जो कैंसर, हृदय संबंधी समस्याओं, और मधुमेह से लड़ने में और वजन घटाने में भी मदद करते हैं। कलौंजी अथवा काला जीरा अपने उपचारात्मक गुणों के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। सच ही कहा गया है कि, "काले बीज में, मृत्यु को छोड़कर, अन्य सभी रोगों के लिए उपचार मौजूद है।"