केसर: लाल सोना
केसर नाम की उत्पत्ति अरबी शब्द ज़ाफ़रान से हुई है जिसका अर्थ होता है ‘पीला’। वानस्पतिक रूप से, जंगली केसर को क्रोकस कार्ट्राइटिएनस के रूप में जाना जाता है, जबकि व्यावसायिक रूप से खेती किए जाने वाले केसर को वानस्पतिक रूप से क्रोकस सैटिवस कहा जाता है, जो फूल का नाम भी है। दुनिया के सबसे महंगे मसालों में से एक, केसर को "लाल सोना" भी कहा जाता है। इसका इतिहास 3500 वर्षों से भी अधिक पुराना है। रोमवासियों ने इसे गंधहारक के रूप में उपयोग किया, मिस्र के चिकित्सकों ने जठरांत्र शोथ के उपचार के लिए इसका उपयोग किया और ऐसा कहा जाता है कि क्लियोपेट्रा ने इसका प्रसाधन के रूप में उपयोग किया था। केसर क्रोकस की खेती मुख्य रूप से ईरान और कश्मीर में की जाती है। एक बहुत ही श्रम प्रधान फसल, केसर की बहुत उच्च मांग है और यह प्रायः सोने से अधिक मूल्यवान माना जाता है!

केसर को "लाल सोना" भी कहा जाता है।

क्रोकस सैटिवस: केसर का फूल
यह एक मसाला है जो क्रोकस सैटिवस पौधे के बैंगनी फूलों के वर्तिकाग्र (स्टिग्मा) से प्राप्त होता है। प्रत्येक फूल में तीन वर्तिकाग्र होते हैं जिन्हें केसर का मसाला बनाने के लिए हाथ से तोड़ा जाता है और फिर सुखाया जाता है। कुछ ग्राम केसर पैदा करने के लिए हजारों फूल लगते हैं। वर्तिकाग्र प्रायः नारंगी-लाल रंग के होते हैं, जो क्रोसेटिन, एक प्रकार का अम्ल, और क्रोसिन के तत्व के कारण होता है। केसर खरीदते समय, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सबसे अच्छे प्रकार के केसर में गहरा लाल रंग, शहद जैसी सुगंध और मृदु लेकिन कस्तूरी जैसा स्वाद होता है।
खेती
केसर की खेती के लिए, उपजाऊ मिट्टी मूलभूत आवश्यकता है। इसकी खेती में जलवायु भी बड़ी भूमिका निभाती है। जहाँ एक तरफ़ गर्मियों में पौधों को अत्यधिक गर्मी और शुष्कता की आवश्यकता होती है, वहीं दूसरी ओर, सर्दियों में उन्हें अत्यधिक ठंड की आवश्यकता होती है। आर्द्रता और गर्म परिस्थितियाँ केसर की फ़सल को नुकसान पहुँचाती है। पौधे अत्यंत कम तापमान सहन कर सकते हैं (माइनस दस डिग्री सेल्सियस से भी कम)। वास्तव में, पौधों का ज़्यादा से ज़्यादा विकास सर्दियों के दौरान होता है। इसलिए, भारत में जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश तथा कर्नाटक के क्षेत्रों को इसकी खेती के लिए अनुकूल माना जाता है।केसर को क्रोकस सैटिवस (इरिडासीए) के फूलों से एकत्रित किया जाता है, जिसे प्रायः केसर क्रोकस अथवा केसर कंद (बल्ब) के रूप में जाना जाता है। इन कंदों को घनकंद कहा जाता है, जो भूमिगत संकुचित तने होते हैं। प्रत्येक घनकंद (मांसल बल्बनुमा जड़) में से नए कंद निकलते हैं, और इस तरह से यह पौधा बढ़ता है। ये घनकंद गर्मियों में शरद ऋतु की फसल के लिए लगाए जाते हैं।

केसर की खेती

केसर के घनकंद
केसर की कटाई
यह कटाई की ही प्रक्रिया है जो केसर को इतना महँगा बना देती है। केसर रोपण के 3 से 4 महीने के अंदर फूलना शुरू कर देता है। यदि जून में लगाया जाता है, तो आदर्शतः पौधे को अक्टूबर तक फूल जाना चाहिए। कटाई सूर्योदय - आकाश में प्रकाश की पहली किरण आने से ठीक पहले- की जानी चाहिए। मूलतः, सूर्य के बहुत गर्म होने से पहले फूलों को तोड़ा जाना चाहिए। इसके बाद केसर के रेशों को 5 से 6 दिनों तक धूप में सुखाया जाता है, जिसके बाद इन्हें हवाबंद डिब्बों में पैक किया जाता है। एक किलोग्राम केसर तैयार करने के लिए एक लाख से अधिक फूलों का उपयोग किया जाता है। पूरी प्रक्रिया बहुत ही थकाऊ और श्रमसाध्य है। यह इसकी ऊँची कीमत के पीछे का एक कारण है। ऐसा कहा जाता है कि केसर उगाना कठिन नहीं है, परंतु केसर की फसल से लाभ कमाना कठिन है।
उपयोग
केसर एक प्राकृतिक मसाला है और इसलिए यह कृत्रिम खाद्य योजकों का एक उत्कृष्ट विकल्प है। केसर का कपड़ों के रंजक (डाई) के रूप में और, विशेष रूप से चीन और भारत में, गंध-द्रव्यों में भी उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग कीटनाशक के रूप में भी किया जाता है।
इसे "सूर्यप्रकाश मसाला" (सनशाईन स्पाइस) का उपनाम दिया गया है, जो केवल इसके रंग के कारण ही नहीं, बल्कि इसलिए भी कि यह किसी की मन:स्थिति को भी प्रसन्नचित रखने में सहायता करता है। कहा जाता है कि केसर की पंखुड़ियाँ और धागेनुमा वर्तिकाग्र दोनों हल्के अवसाद के उपचार में कारगर साबित होते हैं। केसर में क्रोसिन की उपस्तिथि इसे एक बहुत सशक्त मसाला बनाती है जिसमें उच्च ऑक्सीकरण रोधी तत्व होता है। अध्ययनों से पता चला है कि इसकी उच्च ऑक्सीकरण रोधी विशेषता के कारण, यह सामान्य कोशिकाओं को प्रभावित न करते हुए कैंसर की कोशिकाओं को मारने में मदद करता है। वास्तव में, केसर के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, क्योंकि यह हृदय, दृष्टिशक्ति, याददाश्त और यहाँ तक कि मधुमेह से संबंधित समस्याओं में मदद करता है। केसर एक उत्तेजक शक्तिवर्धक औषधी है और सर्दी तथा बुखार के उपचार के लिए बहुत प्रभावी है।

केसर एक उत्कृष्ट रंग योज्य है।