जीवंत मिर्च
हालाँकि हम आमतौर पर मिर्च को हरे और लाल रंगों से जोड़ते हैं, तथ्य यह है कि वे बैंगनी, पीले और नारंगी रंगों में भी आती हैं। यह एक ऐसा फल है जिसकी लगभग २०० किस्में हैं! वैसे तो वे रंगों में भिन्न होती हैं, लेकिन उन सभी में कैप्साइसिन होता है जो श्वसन प्रणाली, रक्तचाप और ह्रदय के लिए फ़ायदेमंद, एक जैविक रूप से सक्रिय घटक है। यह कैप्साइसिन ही है जो तीखेपन का कारण बनता है, तालु को उत्तेजित करता है और रक्त-प्रवाह में वृद्धि करता है। इससे शरीर को पसीने आते हैं, जो बदले में शीतलता का प्रभाव पैदा करते हैं। कैप्साइसिन की मात्रा जितनी अधिक, मिर्च उतनी ही तीखी होती है। इसी कारण उष्टकटिबन्धीय क्षेत्रों में मिर्चें/ मिर्चियाँ प्रमुख रूप से पाई जाती हैं ।
मिर्चें सभी प्रकार के आकारों और रंगों में आती हैं। हमारे घरों में आमतौर पर दो तरह की मिर्चें/ मिर्चियाँ पाई जाती हैं- हरी और लाल। हरी मिर्चें कच्ची होती हैं, जो पक कर लाल हो जाती हैं। दोनों के अलग-अलग स्वाद होते हैं और उनके स्वास्थ्य लाभ भी एक दुसरे से भिन्न होते हैं। हरे रंग के रूप में जन्म लेने वाली इन मिर्चियों को जब सुखाया जाता हैं, तब पानी की मात्रा समाप्त होने से ये (रंग में) लाल और (स्वाद में) और तीखी हो जाती हैं। जैसे जैसे मिर्चें लाल होकर सूखने लगती हैं, वे पोषक तत्वों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी खो देती हैं।
मिर्च के कई अवतार: लाल, हरा और सूखा लाल
मिर्च के इन आम तौर पर पाए जाने वाले रूपों में से प्रत्येक में कुछ अलग होता है और प्रत्येक पोषण के संबंध में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वास्तव में, भारतीय भोजन मिर्च के बिना अधूरा है। पिसी लाल मिर्चों की तुलना में हरी मिर्चें निश्चित रूप से ज़्यादा हितकारी होती हैं (यह चूरा तब प्राप्त होता है जब सूखी लाल मिर्च को पीसा जाता है)। हरी मिर्चों में पानी की मात्रा अधिक, और कैलोरी, व्यवहारिक तौर पर शून्य होती है। स्पष्टतः इसीलिए, वज़न पर नियंत्रण रखने वालों के लिए ये एक बेहतर स्वास्थ्य विकल्प हैं। हरी मिर्चें बीटा-कैरोटीन, एंटीऑक्सिडेंट और एंडोर्फिन का भी एक समृद्ध स्रोत होती हैं। यद्यपि बड़ी मात्रा में लाल मिर्चों का सेवन करने से आंतरिक सूजन, एवं परिणामस्वरूप, छाले (पेप्टिक अल्सर) हो सकते हैं। लाल और हरी मिर्च, दोनों के उपभोग करने का सबसे अच्छा तरीक़ा उन्हें कच्चा ही खाने में है।कच्चा ही खाना है
स्वाद के लिहाज़ से हरी मिर्चों में एक घासमयी सुवास होता है। वहीं दूसरी ओर, अपने पके प्रारूप में ये ज़्यादा मीठी पाई जाती हैं। सूखी पकी मिर्चियों में केंद्रित शर्कराओं की मात्रा के कम होने के साथ, इनका तीखा शाकाहारी स्वाद भी कम हो जाता है।
लाभ
हरी मिर्चों का नियमित सेवन उच्च रक्त शर्करा के स्तर को संतुलित करने एवं इंसुलिन के स्तर को नियंत्रित करने में सहायता करता है। आहारीय रेशों (फ़ाइबर) से लैस, ये मिर्चियाँ पाचन में मददकारी होती हैं। विटामिन-ई और सी का एक समृद्ध स्त्रोत होने के कारण, ये स्वस्थ त्वचा की ओर भी योगदान देती हैं। हरी मिर्च का नियमित सेवन हृदय को स्वस्थ रखता है, क्योंकि इसमें बीटा-कैरोटीन का काफ़ी अनुपात होता है, जो हृदय-प्रणाली के समुचित कार्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण है। मिर्चें हमारे उपापचय (मेटाबॉलिज्म) को तेज़ तथा कैलोरी को कम करके वज़न घटाने में भी मदद करती हैं। हरी मिर्चें रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाला एक बेहतरीन तत्व हैं। हरी मिर्च का पका प्रारूप होने के कारण, लाल मिर्च विटामिन-सी से भी भरपूर होती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर चिरकालिक रोगों से लड़ने में मदद करती है। इसकी उच्च पोटेशियम सामग्री रक्त-वाहिकाओं को शांत, तथा रक्तचाप को नियंत्रित रखती है। लाल मिर्च में शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट (ऑक्सीकरण-रोधी....) होते हैं जो रक्त-वाहिकाओं और धमनियों में रुकावट को दूर करने में मदद करते हैं। तो मिर्च जितनी लाल, दिल उतना स्वस्थ!
सूखी लाल मिर्चें या उनका चूरा भारतीय घरों में एक बहुत ही आम सामग्री है। साबुत सूखी मिर्चों के फ़ायदे भौतिक से अधिक संवेदनात्मक होते हैं। ये मूल रूप से हरी मिर्च का सूखा रूप हैं, जो जितनी सूखी, स्वाद में उतनी ही तीखी होती हैं। इनका विशिष्ट स्वाद ही कारण है कि इनका उपयोग कुछ भारतीय एवं संपूर्ण एशियाई व्यंजनों में किया जाता है। इन्हें तीखेपन से अधिक, स्वाद के लिए इस्तेमाल किया जाता है। चेतावनी- पिसी मिर्च की तुलना में साबुत सूखी लाल मिर्च का उपयोग करना अधिक सुरक्षित है, क्योंकि पिसी मिर्च में कृत्रिम रंगों और स्वादों द्वारा मिलावट होने की संभावना रहती है।