अतुल्य अजवायन
वैज्ञानिक रूप से ट्रेचीस्पर्मम एम्मी और स्थानीय रूप से अजवायन या कैरम के नाम से जाना जाने वाला अजवायन, भारतीय घरों में एक सर्वकालिक रूप से पसंद किया जाने वाला मसाला है । यह मसाला मूलतः भारत एवं मध्य-पूर्वी देशों से आता है । इन अंडाकार बीजों के कड़वे और तीखे स्वाद के बावजूद, वे विभिन्न व्यंजनों में एक अनूठा स्वाद और सुगंध जोड़ने के लिए जाने जाते हैं। इन पौधों की पत्तियाँ भी बहुत लाभकारी मानी जाती हैं, तथा बीजों के रूप में लोकप्रिय हैं। "बिशप के खरपतवार" के रूप में संदर्भित, अजवायन को घर पर एक छोटे से गमले में भी आसानी से उगाया जा सकता है। आरामदेह सुगंध तथा मोटी हरी पत्तियाँ, इस पौधे को देखने में आकर्षक बनती हैं। स्वाद और स्वास्थ्य दोनों के लिहाज से वाले संपन्न बीजों और पत्तियों के साथ, अजवायन व्यावहारिक रूप से एक घर का डॉक्टर है!

Ajwain seeds
खेती
है। अजवायन का पौधा उगाने में आसान और देखने में उतना ही आकर्षक होता है । इसे एक छोटे से बगीचे के बाड़े में उगाया जा सकता है क्योंकि यह काफी उर्वर होता है तथा तेजी से फैलता है। अजवायन आमतौर पर बीजों से जाती उगाया जाता है। अक्टूबर से नवंबर तक की अवधि बीज बोने के लिए आदर्श होती है। इसकी कलमें भी खेती का एक सुविधाजनक माध्यम होती हैं । यदि बीजों का उपयोग किया जा रहा हो तो उन्हें चंद इंच की गहराई में बोना चाहिए। गमले के हिस्से को छाया में और तेज़ धूप से दूर रखना चाहिए। केवल पानी के छिड़काव का ध्यान रखा जाना चाहिए । अजवायन पानी के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होता है। अधिक पानी देने से बीज नष्ट हो जाएंगे । यह कारक सूखे की स्थिति में भी अजवायन की खेती को सक्षम बनाता है। बीज बोने के बाद 7 से 10 दिनों में अंकुरित होने लगते हैं। यदि कलमों का उपयोग किया जा रहा है, तो उन्हें सीधे अच्छी तरह से तैयार की गई गमले की मिट्टी में लगाया जाना चाहिए, जिसमें कुछ जैविक खाद डाली गई हो। आमतौर पर कटाई का समय छह महीने के भीतर आ जाता है। कटाई थ्रेशर उपयोग करके या काटे गए पौधों को डंडों से पीटकर की जाती है।
उपयोग
आइए पत्तियों से शुरू करते हैं
अजवायन की पत्तियां शरीर की पाचन क्रिया में वृद्धी करती हैं । पाचन में सुधार के लिए भोजन के बाद इनका सेवन किया जा सकता है। बच्चों में खासतौर पर इनका उपयोग भूख बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। अजवायन के पौधे की कटी हुई पत्तियाँ खाने योग्य एवं खराब पेट के लिए एक आसान घरेलू उपचार हैं। ये एक मुखवास के रूप में कार्य करती हैं और अशुद्ध श्वांस को हटाने में मदद करती हैं । औषधीय और ताज़ा ताजा स्वाद के लिए इन पत्तियों को दही या सलाद में डाला जा सकता है। अजवायन के पत्ते के रास एवं शहद का मिश्रण सामान्य सर्दी और खांसी को ठीक कर देता है, ज़्यादातर शिशुओं में । यह इस प्रकार के संक्रमणों के ख़िलाफ़ उनकी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। पकाते समय इसके कुछ पत्ते डालने से सब्ज़ी का स्वाद बढ़ सकता है। बल्कि इन पत्तियों का स्वाद थाइम के सामान होता है ।
फल स्वत:
अजवायन के फल भूरे रंग के और अंडाकार होते हैं। इसके बीज या फल सुगंधित, तीखे और कड़वे होते हैं। इसका उपयोग पकाने में एक मसाले के रूप में किया जाता है। इन बीजों के तीखे स्वाद और गंध को कम करने के लिए इन्हें अक्सर तला या सूखा भूना जाता है। इन बीजों में 50% अजवायन के सत्व वाला एक आवश्यक तेल भी होता है जो ऐंठन, रोगाणुनाशन एवं फफूंदीनाशन में कार्य करता है। अजवायन के सत्व का उपयोग दाँतों के मंजन में भी किया जाता है। इसके बीजों को चबाने से पाचन तंत्र में अम्लता के स्तर को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है। गुर्दे की पथरी, दमा, लघु अथवा सूक्ष्म श्वासनलिकाओं सम्बन्धी समस्याएं, मुँहासे, निशान, मांसपेशियों में ऐंठन और दांत के दर्द जैसी कई बीमारियां हैं जिन्हें अजवायन के सेवन से घटाया जा सकता है। चेतावनी-- मुमकिन है कि अधिक सेवन फायदेमंद ना हो और इलाज से ज्यादा समस्याएँ पैदा हो जाएँ ।
एक छोटा मसाला लेकिन बहुत ही चिकित्सात्मक!