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योग

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मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची 2016 (11.COM) मे लिखा गया

भारत में प्राचीन भारतीय प्रथा योग के दर्शन ने समाज के कार्यों के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित किया है, चाहे वह स्वास्थ्य और चिकित्सा हो या शिक्षा और कला जैसे क्षेत्र। मानसिक, आध्यात्मिक और शारीरिक भलाई के लिए शरीर और आत्मा के साथ मन को एकीकृत करने के आधार पर, योग के मूल्य समुदाय के लोकाचार का एक प्रमुख हिस्सा हैं। योग में मुद्राएं बनाना, मेडिटेशन, श्वास नियंत्रण, शब्दों का जप और अन्य तकनीकों की श्रृंखला होती है, जो व्यक्तियों को आत्म-साक्षात्कार का निर्माण करने में मदद करने, उनके द्वारा अनुभव की जा रही किसी भी पीड़ा को कम करने और उससे छुटकारा पाने में मदद करता है। इसका अभ्‍यास हर उम्र और वर्ग या धर्म का व्‍यक्ति कर सकता है और अब तो यह दुनिया के अन्य हिस्सों में भी लोकप्रिय हो गया है। परंपरागत रूप से, योग को गुरु-शिष्य मॉडल (अध्‍यापक-छात्र) का उपयोग करके योग गुरुओं के साथ संबद्ध ज्ञान और कौशल के मुख्य संरक्षक के रूप में फैलाया गया था। आजकल, योग आश्रम या धर्मोपदेश देने वाले आश्रमों पारंपरिक अभ्यास के साथ-साथ स्कूलों, विश्वविद्यालयों, सामुदायिक केंद्रों और सोशल मीडिया के बारे में जानने के लिए अतिरिक्त अवसर देते हैं। योग के शिक्षण और अभ्यास में प्राचीन पांडुलिपियां और शास्त्रों का भी उपयोग किया जाता है, और इस विषय पर आधुनिक साहित्य की एक विशाल श्रृंखला भी मौजूद है।

योग का उद्देश्य एक व्यक्ति को पूर्ण कल्याण प्राप्त करने में मदद करना है जिसमें मनुष्य के शारीरिक, सामाजिक, मानसिक और आध्यात्मिक पहलू शामिल हैं। इसका मतलब है 'जुड़ना या एकजुट होना'। योग का अभ्यास न केवल पर्यावरण के साथ स्वयं को सामंजस्य स्थापित करता है बल्कि भावनात्मक स्थिरता की ओर ले जाता है। यह विभिन्न योग मुद्राओं के माध्यम से प्राप्त होती है, जिन्‍हें आसन कहा जाता है। आसन एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है एक आरामदायक स्थिति। योग जीवन जीने का एक तरीका है जो एक व्यक्ति को एक स्वस्थ जीवन शैली का नेतृत्व करने में मदद करता है। योग का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा मन, शरीर और आत्मा की एकता में विश्वास करना है। यह स्वयं को आध्यात्मिकता से जोड़ने और स्वस्थ सामाजिक संबंधों को बनाए रखने की अनुमति देता है। ऐसा तब संभव होता है जब मन स्पष्ट और शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य नियंत्रण में होता है।

योग के विभिन्न प्रकार होते हैं जैसे हठ योग, विन्यास योग, अष्टांग योग, बिक्रम योग, जीवामुक्ति योग इसके कुछ नाम हैं। योग की सबसे लोकप्रिय शैलियों में से हठ योग एक है। इसके आम तौर पर तीन हिससे होते हैं, वे हैं प्राणायाम (सांस लेने का व्यायाम), आसन (योग आसन) और शवासन (आराम करने की अवधि)। यह मन की शांति और शरीर को ध्यान की साधना के लिए तैयार करने में मदद करने की अपनी क्षमता के लिए लोकप्रिय है। योगासन करते समय, अक्सर योग शिक्षकों (योगी या योगिनी) द्वारा यह सुझाव दिया जाता है कि व्‍यक्ति की शारीरिक सीमाओं को बढ़ाता और साथ ही साथ अधिक थकान महसूस नहीं होने देता। एक योगासन के दौरान, श्वास पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी जाती है, जबकि मन बाहरी विकर्षणों को रोककर शांति हासिल करता है।

पतंजलि के योग सूत्र (योग के अभ्यास पर 196 संस्कृत सूत्र युक्त) के अनुसार, योग में अष्टांग, अर्थात् आठ अंग शामिल होते हैं। इनका उद्देश्य आत्मज्ञान या आत्मबोध करना होता है। योग के आठ अंग इस प्रकार हैं:
●    पहला, यम जिसका अर्थ संयम या आत्म नियमन है।
●    दूसरा, नियम, जिसका अर्थ है अवलोकन।
●   तीसरा, आसन, यह एक योग मुद्रा धारण करने का अभ्यास होता है। यह शरीर को लंबे समय तक ध्यान के लिए बैठने में सक्षम बनाता है। यह शरीर को आराम देने या शरीर को सहज करने और मन को अनंत के साथ विलय करने की अनुमति देकर प्राप्त किया जाता है (योग में अनंत प्रतीक एकता का प्रतिनिधित्व करता है, जो बताता है कि सभी मनुष्य जीवन के इस घेरे में एक साथ हैं)।
●   चौथा, प्राणायाम, जिसमें सांस को लंबे समय तक रोकने के लिए श्वास चक्र को नियंत्रित और संतुलित करने का अभ्यास किया जाता है।
●   पांचवां, प्रत्याहार, जिसका उद्देश्य अनुभूति की इंद्रियों को वापस हासिल करना होता है।
●   छठा, धारण, जिसका अर्थ है एकाग्र होना।
●   सातवां, ध्यान, इसका अर्थ चिंतन करना और वैसा ही प्रतिबिंबित करना होता है;
●   आठवां, समाधि, जिसका अर्थ है गहन आध्यात्मिक अवशोषण की स्थिति तक पहुंचना, अर्थात, ध्यान की सहायता से संपन्नता हासिल करना होता है।


शोध के अनुसार, नियमित रूप से योग का अभ्यास करने के चिकित्सीय लाभ भी होते हैं। योग के आसन और इनका अभ्यास स्वास्थ्य संबंधी शारीरिक और मानसिक परेशानियों को कम करने में मदद करते हैं। इसमें सांस लेने के व्यायाम करने से रोज़मर्रा के तनाव को कम किया जा सकता है और जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि हो सकती है। इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि व्यक्ति को अपने शरीर क्षमताओं से ज़्यादा दूर नहीं जाना चाहिए और मन में उत्साह पैदा करना चाहिए। योग अभ्यास जैसे कि शवासन, प्राणायाम और ध्यान करने से नींद में महत्वपूर्ण सुधार आता है। योग न केवल संतुलित मानसिक स्थिति तक पहुंचने में मदद करता है, बल्कि यह भी कहा जा सकता है कि योग का नियमित अभ्यास स्वास्थ्य के सभी आयामों, अर्थात् शारीरिक, सामाजिक और आध्यात्मिक रूप से फायदा पहुंचाता है। यह इंसान के भीतर सामंजस्य बढ़ाता है और सर्वोच्च चेतना के साथ जीवन की समग्रता की ओर ले जाता है।