Type: सुषिर वाद्य
शंख समुद्री जीव के खोल से निर्मित एक वायु वाद्य यंत्र है। यह धार्मिक वाद्य यंत्र उड़ीसा में पाया जाता है। सीमित संगीत अनुप्रयोगों वाले इस वाद्य यंत्र को हिंदू धर्म में अत्यधिक धार्मिक महत्व वाला माना जाता है।
Material: समुद्री जीव का खोल
सीमित संगीत अनुप्रयोगों वाला एक वाद्य यंत्र, इसे हिंदू धर्म में अत्यधिक धार्मिक महत्व वाला माना जाता है। यह एक बड़े मांसभक्षी समुद्री घोंघे के खोल से बना होता है जो विशेष रूप से हिंद महासागर में पाया जाता है। बाहरी छिद्र से हवा को बहुत अधिक दबाव के साथ फूँका जाता है और हवा शंख के अंदर एक छोटे से छिद्र से होकर गुज़रती है। हवा शंख की आंतरिक दीवार में गूँजती है और ध्वनि तब उत्पन्न होती है जब हवा निचले मुख से गुज़रती है। यह वाद्य यंत्र हिंदू पौराणिक कथाओं में भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी से जुड़ा हुआ है, यह प्राचीन काल में रण भेरी (युद्ध बिगुल) के रूप में उपयोग किया जाता था। ऐसा माना जाता है कि शंख बजाने से ध्वनि उत्पन्न होती है जो बुराई और पाप को नष्ट करने की क्षमता रखती है। शंख की आंतरिक बनावट खोखली होती है जबकि आंतरिक सतह बहुत चमकदार होती है।
Material: समुद्री जीव का खोल
शंख एक गंधर्व वाद्य यंत्र है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने राक्षस शंखासुर का वध किया और उसकी खोपड़ी से पंचजन्य नामक एक शंख बनाया। भगवान विष्णु ने शंख को शस्त्र के रूप में भी उपयोग किया था। प्राचीन काल में, युद्धों में शंखों का उपयोग बिगुलों के रूप में किया जाता था। शंख का बजना किसी भी शुभ अवसर की शुरुआत का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि शंख बजाते समय उत्पन्न होने वाली गुंजायमान ध्वनि बुरी आत्माओं को दूर भगाती है।