Type: सुषिर वाद्य
सींगा बाँस और भैंस के सींग से निर्मित एक वायु वाद्य यंत्र है। यह पारंपरिक वाद्य यंत्र उड़ीसा में पाया जाता है। इसे मुख्य रूप से याचकों द्वारा उपयोग किया जाता है।
Material: भैंस का सींग, बाँस
बाँस के मुखनाल से संलग्न भैंस का सींग। इसे दोनों हाथों में पकड़कर बाँस के मुखनाल से फूँका जाता है। इसे याचकों द्वारा उपयोग किया जाता है।
Material: भैंस का सींग, बाँस
सिंगा झारखंड का एक वायु वाद्य यंत्र है, जो इस राज्य की संगीत परंपरा का एक अभिन्न अंग है, जो विभिन्न अवसरों पर, विशेष रूप से शादी समारोहों में बजाया जाता है। यह पीतल का बना होता है और इसका आकार अंग्रेजी के अक्षर 'एस' ('S') के समान होता है, तथा इसे एक छोर पर मुँह से हवा फूँक कर बजाया जाता है, ताकि दूसरे सिरे पर दिए गए शंक्वाकार छेद से ध्वनि (आवाज़) निकल सके। सिंगा के गुंजायमान संगीत के बिना शादी की बारातें अधूरी होती हैं।