Type: अवनद्ध वाद्य
मादल चिकनी मिट्टी और चमड़े से बना एक ताल वाद्य यंत्र है। यह एक जनजातीय वाद्य यंत्र है, जो उड़ीसा में पाया जाता है। जनजातीय सामुदायिक नृत्यों में मुख्य रूप से उपयोग किया जाता है।
Material: चिकनी मिट्टी, चमड़ा
पकी हुई चिकनी मिट्टी से बना एक द्विमुखी पीपे के आकार का ढोल। दोनों मुख चर्मपत्र से ढके हुए और कुंडों के माध्यम से ठोस चमड़े के फ़ीतों से बंधे होते हैं। दोनों मुखों पर काला लेप लगा होता है। गर्दन में लटकाया जाता है और हाथों से बजाया जाता है। जनजातीय सामुदायिक नृत्यों में उपयोग किया जाता है।
Material: चिकनी मिट्टी, चमड़ा
मादल, मृदंग की एक किस्म, जो कि मध्य में थोड़ा उभार वाला बेलनाकार हाथ वाला ढोल है। मुख्य ढाँचा लकड़ी या चिकनी मिट्टी से बना होता है और सिरों पर चमड़ा होता है, जो कंपन करता है और ध्वनि पैदा करता है। क्षैतिज रूप से मादल ढोल को पकड़ा जाता है और दोनों सिरों को हाथों से बजाया जाता है। हालांकि मादल, मृदंग से ही विकसित हुआ है, फिर भी दोनों वाद्य यंत्रों के बीच बहुत अंतर है। यह विशिष्ट नेपाली ताल वाद्य यंत्र अधिकांश नेपाली लोक संगीत की रीढ़ है। मादल के बाएं सिरे को नट कहा जाता है और दाएं सिरे को मदीना कहा जाता है। नेपाली लोक गीतों के साथ मादल पर बजाई जाने वाली लोकप्रिय तालों में शामिल हैं - समला, विरानी, ख्याली, टप्पा, गर्षा और चक्र। दो प्रकार के मादल का उपयोग किया जाता है - पुरवाली और पश्चिमी। पश्चिमी आकार में छोटा है और इसकी ध्वनि तेज़ होती है। मादल सभी नेपाली लोक गीतों और नृत्यों की एक महत्वपूर्ण संगत है।