Domain:प्रदर्शन कला
State: जम्मू और कश्मीर
Description:
भारतीय शास्त्रीय संगीत की तरह सूफ़िआना मौसिक़ी में भी घराने होते हैं। पूर्व काल में सूफ़िआना मौसिक़ी के कई घराने होते थे। ये घराने कश्मीर घाटी में सब जगह फैले हुए थे। पर आज कश्मीर में केवल तीन जिले हैं जहाँ सूफ़िआना मौसिक़ी होती है। इनमें बडगाम, अनंतनाग और श्रीनगर शामिल हैं। बडगाम जिले के सबसे प्रख्यात घरानों में कालीनबफ़्त घराना है। इस घराने का नाम इसके सबसे प्रख्यात गायक, उस्ताद ग़ुलाम मोहम्मद कालीनबफ़्त, पर पड़ा है। यह रमज़ान जू घराने की शाखा है। बाद में उस्ताद क़ालीनबफ़्त ने अपनी स्वयं की शैली विकसित की और एक दूसरा घराना स्थापित किया। उदहारण के लिए, रमज़ान जू घराने के मक़ाम के गायन में एक ही लय बनाए रखने की रिवाज़ थी, लेकिन उस्ताद क़ालीनबफ़्त मक़ाम का जवाब देते समय, मक़ाम की लय विलम्बित (धीमी) से बदलकर मध्य (मध्य-स्थान) और द्रुत (तेज़) कर देते थे। (जवाब मक़ाम गायन के दौरान वक़्फ़ या विश्राम के बाद यंत्रवत् दोहराया जाता है)। उस्ताद क़ालीनबफ़्त अपने आप को प्रख्यात सूफ़िआना संगीतज्ञों के अगुआ के रूप में स्थापित कर सके। उन्होंने शेख अब्दुल अज़ीज़, मुश्ताक़ अहमद, शकील अहमद लाला और घराने के तत्कालिक ख़लीफ़ा, उस्ताद मोहम्मद याक़ूब शेख (ग़ुलाम मोहम्मद क़ालीनबफ़्त के पोते) को सिखाया। कश्मीर के बडगाम जिले के प्रख्यात घरानों में से एक कमल भट घराना है। इस घराने का नाम इस घराने के सबसे प्रसिद्द संगीतकार, उस्ताद कमल भट, के नाम पर पड़ा है। उस्ताद कमल भट और उनका परिवार पेशेवर संगीतकार थे। वे निम्नलिखित तालों को बजाने में बहुत दक्ष थे - निमडोर, मुखम्मस, सक़ील, हिजाज़, डोर-ए-ख़फ़ीफ़, दुरोया, येका, दोयेका, सेहताल, चपंदाज़, रवानी, इत्यादि।