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रावणछाया – भारत की छाया कठपुतली परंपराएँ

Domain:प्रदर्शन कला

State: उड़ीसा

Description:

भारत के विभिन्न क्षेत्रों में छः छाया कठपुतली नाट्य परंपराएँ हैं जिनके स्थानीय तौर पर निम्नलिखित नाम हैं: महाराष्ट्र में चमड्याचा बाहुल्य, आंध्र प्रदेश में तोलु बोम्‍मालट्टा, कर्णाटक में तोगलु गोम्‍बयेट्टा, तमिल नाडू में तोलु बोम्‍मालट्टा, केरल में तोलपावा कूथू, और ओडिशा में रावणछाया। ओडिशा में यह भट समुदाय द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। हालाँकि इन सबमें एक अलग क्षेत्रीय पहचान, भाषा और बोलियाँ होती हैं जिनमें इन्हें किया जाता है, परंतु इनमें एक समान विषयवस्तु और सौन्दर्य होता है। इनकी कथाएँ रामायण और महाभारत महाकाव्यों, पुराणों, स्थानीय मिथकों और कहानियों पर आधारित होती हैं। मनोरंजन प्रदान करने के साथ-साथ ये ग्रामीण समाज को महत्वपूर्ण संदेश भी देती हैं। इसके प्रदर्शन की शुरुआत गाँव की चौक या मंदिर प्रांगण में बने एक अनुष्ठान मंच पर मंगलाचरण से होती है। पारंपरिक पात्र हास्य प्रदान करते हैं। सभी क्षेत्रों की सभी परंपराओं में लय और नृत्य की भावना निहित है। ये कठपुतिलियाँ बकरे या हिरण की चमड़ी से बनाई जाती हैं। इन्हें आवरण के पीछे से चलाया जाता है जहाँ परछाई डालने के लिए प्रकाश स्रोत्र होता है। कठपुतलियों के प्रदर्शन त्योहारों, विशेष अवसरों पर होने वाले उत्सवों, रिवाजों के हिस्से होते हैं और कभी-कभी ये दुष्ट आत्माओं को भगाने और गावों में सूखा पड़ने पर वर्षा के देवता का आह्वान करने के किए भी किए जाते हैं।