Domain:प्रदर्शन कला
State: उड़ीसा
Description:
ओडिशा के उत्तरी भाग में स्थित मयूरभंज, अपने छऊ नृत्य के लिए प्रसिद्ध है। इस नृत्य में योद्धा अपने परंपरागत परिधान पहनते हैं और नृत्य प्रस्तुति के दौरान, छऊ नृत्य के कड़े तकनीकों का पालन करते हैं। यह उड़िया भाषी क्षेत्र है जहाँ पूर्वकाल में छऊ प्रचलित था और अब वर्तमान में भी प्रचलन में है। यह क्षेत्र मयूरभंज, सरायकेला और पुरुलिया हैं। अतीत में यह तीनों क्षेत्र एक ही प्रशासन के अंतर्गत आते थे। छऊ नृत्य के आरंभिक चरणों में मुखौटों का इस्तेमाल इस नृत्य की तीनों विधाओं, मयूरभंज, सराईकेला और पुरुलिया, में किया जाता था। बाद में मुखौटों को मयूरभंज छऊ द्वारा त्याग दिया गया। शुरुआत में यह नृत्य तलवारबाज़ी तक सीमित था, जिसमें एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ मे ढाल होती थी। साथ का अधिकतर संगीत केवल शारीरिक शक्तियों, तलवारबाज़ी की तकनीकों और नर्तकों के हवाई करतबों को दर्शाने के लिए ही होता था। मयूरभंज छऊ में, सभी तकनीकों को सीखने हेतु अपने शरीर को स्वस्थ और लचीला बनाने के उद्देश्य से, प्रशिक्षार्थियों को उनके शरीर की गतियों पर बल डालने वाले अलग प्रकार के व्यायामों के द्वारा अपने अंगभावों का अभ्यास करना पड़ता है। परिधान, वस्त्र और श्रृंगार, सभी नृत्य प्रस्तुतियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभातें हैं। छऊ एक नाट्य नृत्य है, इस नृत्य में देवी, देवताओं और कभी-कभी पशुओं के पात्रों को चित्रित किया जाता है। नृत्य में उपयोग में लाये गए वस्त्र और परिधान, विषयवस्तु और चित्रित पात्रों पर निर्भर करते हैं। वस्त्र सामग्रियों में धोती, गमछा, पगड़ी और कमरबंद सम्मिलित हैं। घुंघरू और बाजूबंद कुछ महत्वपूर्ण आभूषण हैं। तलवारें, ढालें, लाठी, धनुष और तीर, कुछ महत्वपूर्ण मंच सामग्रियाँ हैं। संगीत (जो उड़ीसा के शास्त्रीय और लोक संगीत का समायोजन है) महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ढोल, शहनाई, धमसा और चाड-चडी, इस नृत्य विधा के कुछ प्रमुख वाद्य यंत्र हैं।