Domain:प्रदर्शन कला
State: संपूर्ण भारत
Description:
कव्वाली परंपरागत रूप से एक भक्ति संगीत है। यह इस्लामी रहस्यवाद की परंपरा से संबंधित है और इसमें सूफी संतों की गीत रचनाएँ सम्मिलित हैं। कव्वाली की मुख्य विशेषता ढोलक की थाप पर गाया जाने वाला एक विस्तृत मौखिक कोड है। इसके प्रदर्शनों की सूची विभिन्न संतों से संबंधित वंशावलियों से आती है, और उनसे भी जो क्षेत्रीय शैलियों और भाषाओं को दर्शाती हैं। इसका सामाजिक और वैचारिक रूप से एक बड़ा आधार है। धार्मिक उत्सवों के अलावा इसे जन्म और अन्य जीवन काल समारोहों के दौरान भी गाया जाता है। गायकों को हारमोनियम, सारंगी, सितार, तबला और ढोलक जैसे संगीत वाद्य यंत्रों का साथ मिलता है। प्रस्तुतिकरण हम्द (अल्लाह की प्रशंसा में), कौल (पैगंबर मोहम्मद के प्रवचन), नात (पैगंबर की प्रशंसा में), मन्क़बत (संतों की प्रशंसा में) से शुरू होता है और रंग (चिश्ती वंश की प्रशंसा में) के साथ समाप्त होता है। लय और संगीत का श्रोताओं पर जबरदस्त प्रभाव पड़ता है, और ये धर्मनिष्ठता का माहौल बनाते हैं। कव्वाली अल्लाह और पीरों (संतों) के लिए एक भेंट (हाज़री) के रूप में गाई जाती है। गायन का ज्ञान और शैली मौखिक रूप से पीढ़ी-दर-पीढ़ी प्रसारित होती है, और इस तरह से परंपरा को अस्तित्वमय रखा गया है। गायकों की जुस्तजू ईश्वर के साथ एक हो जाने की होती है, एक आध्यात्मिक अनुभव जो रहस्यमय प्रेम के साथ उसकी चेतना को ऊपर उठता है, और उसे परमानंद की स्थिति में रूपांतरित करता है। लय और कविता का समापन गुंजायमान प्रदर्शन से होता है। यह अपने आप में समुदाय के धार्मिक, पौराणिक और उत्सव के पहलुओं को जोड़ती है और समुदाय के सौंदर्य और रचनात्मक आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति है।