Domain:प्रदर्शन कला
State: केरल
Description:
कलरीपायट्टु केरल में उत्पन्न और की जाने वाली युद्ध कला है। मिथकों के अनुसार योद्धा ऋषि परशुराम कलरीपायट्टु के प्रणेता थे। कलरी एक मालयम शब्द है जिसका अर्थ पयट्टु नामक युद्ध कला सिखाने के लिए एक पारंपरिक रूप से बनी व्यायामशाला होता है। पायट्टु के चार चरण होते हैं : (क) मैप्पायट्टु - शरीर अनुकूलन व्यायाम (ख) कोलथारी - लकड़ी के शस्त्रों का उपयोग (ग) अंगथारी - धातु के तेज़ हथियारों का उपयोग (घ) वेरुमकाई - खाली हाथों से बचाव और आक्रमण केरल में योद्धा सभी जातियों के होते थे। महिलाएँ भी कलरीपायट्टु का प्रशिक्षण लेती थीं और यह आज भी ले रही हैं। उत्तरी केरल (मालाबार) के तीन क्षेत्रों में कलरीपायट्टु की निम्नलिखित मुख्य देशज शैलियाँ हैं : १) वट्टेनथिरिप्पू शैली २) अरप्पुक्कै शैली ३) पिल्लाथंगी शैली