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जंगम गायन

Domain:प्रदर्शन कला

State: हरियाणा

Description:

जंगम गायन जंगम समुदाय की कथात्मक परंपरा है। यह समुदाय हरयाणा में रहता है। इस समुदाय के सदस्य यहाँ से वहाँ घूमने वाले जोगी हैं। जंगम समुदाय हरयाणा के कुरुक्षेत्र, कैथल, अम्बाला और जीन्द जिलों में ज्यादा पाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त वे भ्रमणकारी धार्मिक जोगियों के रूप में हरियाणा के आस-पास उत्तर भारत के पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराँचल, हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर राज्यों में भी घूमते हैं। जंगम गायन शिव मंदिरों के प्रांगण में बड़ी सभाओं के सामने प्रस्तुत किया जाता है। कभी-कभी ये गाँवों की चौकों पर भी सार्वजनिक प्रदर्शन करते हैं। जंगम गायन की मुख्य विषयवस्तु शिव और पार्वती के विवाह से जुड़ी कथाओं से बनी कविताएँ होती हैं। यह कविताएँ सामूहिक स्वर में गई जाती हैं और गायक अभिनेता और संगीतकार की भूमिका भी निभाते हैं, क्योंकि वे विवाह तक के घटनाक्रम को नाटक का रूप दे देते हैं। प्रदर्शन में संगीत के साथ संगत देने के लिए डमरू (शिव से सम्बंधित एक छोटा ढोल) और घंटियों का प्रयोग होता है। यह कविता एक विशिष्ट कथा है क्योंकि यह शिव के एक भगवन होने से एक मनुष्य में परिवर्तित होने की प्रक्रिया का वर्णन करती है। गौरतलब है कि, यह परिवर्तन अपने अस्तित्व के बोध तक ले जाने वाले लौकिक मनोभाव का अनुभव है। इस कविता का आरंभ पार्वती के जन्म से होता है। इसके बाद कथा में पार्वती के एक असाधारण रूप से सुसंस्कृत और सुंदर कन्या के रूप में बड़े होने और उनका शिव से विवाह का स्वप्न, जिसके बाद पार्वती द्वारा विवाह तय कराने वाले ब्राह्मण को शिव के निवास स्थान तक राह दिखने का वर्णन होता है। इस कथा में, भयंकर नागों और काले साँपों से घिरे मादक स्थिति में एक निरंकुश भगवान के रूप में शिव का आकर्षक वर्णन है। इसके बाद कविता में विवाह संस्कार के लिए की जाने वाली तैयारियों और अनुष्ठानों और कैसे यह निरंकुश भगवन एक गृहस्त बन जाते हैं जो कभी पार्वती को अप्रसन्न नहीं कर सकते, इनका विस्तृत वर्णन होता है।