Domain:मौखिक परंपराएँ और अभिव्यक्तियाँ
State: संपूर्ण भारत
Description:
वेद ३५०० वर्ष पूर्व आर्यों द्वारा रचित और विकसित किए गए संस्कृत काव्य, दार्शनिक संवाद, मिथक और अनुष्ठानिक मंत्रों का एक बहुत विस्तृत कोष है। हिंदुओं द्वारा ज्ञान का मुख्य स्रोत और उनके धर्म की पुण्य नींव के रूप में माने जाने वाले वेदों में संसार की सबसे प्राचीन सांकृतिक परंपराएं सम्मिलित हैं। वैदिक विरासत में चार वेदों में एकत्रित किए गए ग्रंथों और व्याख्यानों की एक बड़ी संख्या समाविष्ट है जिन्हें आम तौर पर ‘ज्ञान की पुस्तकें’ कहा जाता है, यद्यपि वे मौखिक रूप से प्रसारित की गई थीं। ऋग वेद पवित्र भजनों का संकलन है; साम वेद में ऋग वेद और अन्य स्त्रोतों के भजनों की संगीतात्मक व्यवस्था है, यजुर वेद पुजारियों द्वारा उपयोग की जाने वाली प्रार्थनाओं और यग्य-संबंधी सूत्रों से भरा है, और अथर्व वेद में जादू-टोना और तंत्र-मंत्र हैं। वेदों से हिंदू धर्म के इतिहास और शून्य के सिद्धांत की तरह कई कलात्मक, वैज्ञानिक और दार्शनिक अवधाराणाओं के विषय में परिज्ञान मिलता है। शास्त्रीय संस्कृत से उत्पन्न वैदिक भाषा में व्यक्त किए गए वेदों के पद्यों का पवित्र अनुष्ठानों में पारंपरिक रूप से जाप होता था और वैदिक समुदायों में इनका दैनिक उच्चारण किया जाता था। इस परंपरा का मूल्य न केवल इसके मौखिक साहित्य की समृद्ध विषय वस्तु बल्कि हज़ारों वर्षों तक इन ग्रंथों का अखंड संरक्षण करने के लिए उपयुक्त किए गए शानदार तरीकों पर भी आधारित है। यह सुनिश्चित करने के किए कि प्रत्येक शब्द की ध्वनि में कोई बदलाव न आ पाए, बच्चों को बहुत ही कम उम्र में जटिल सस्वर पाठ तकनीकियाँ सिखा दी जाती थीं जो लययुक्त उच्चारण, अथवा प्रत्येक अक्षर और विशिष्ट भाषण संयोजनों के उच्चारण के अनूठा तरीकों, पर आधारित थीं। हालाँकि वेद समकालीन भारतीय जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, परंतु एक हज़ार से अधिक वैदिक सस्वर पाठ शाखाओं में से अब केवल तेरह ही बची हैं। इसके अतिरिक्त, चार प्रख्यात पद्धतियाँ– महाराष्ट्र (मध्य भारत), केरल और कर्णाटक (दक्षिण भारत), और ओडिशा (पूर्वीय भारत) – आसन्न खतरे के तहत हैं।