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बिहार की भूमि और उसका पौष्टिक आहार

बिहार राज्य भारत की मुख्य भूमि के पूर्वी क्षेत्र में स्थित है। यह भू-आबद्ध क्षेत्र अपनी प्राचीन परंपराओं और बोधगया, जहाँ बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था, सहित कई विरासत स्थलों, प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय, मधुर और लययुक्त भोजपुरी भाषा, और भी बहुत कुछ के लिए प्रसिद्ध है। ऐसे तो बिहारी भोजन में कई विशिष्ट व्यंजन हैं, फिर भी दुर्भाग्यवश, वे देश के बाकी हिस्सों में व्यापक रूप से ज्ञात नहीं हैं।

Pilgrims at the Mahabodhi Temple. Image source: Wikimedia Commons.

Pilgrims at the Mahabodhi Temple. Image source: Wikimedia Commons.

The ancient Nalanda University.  Image source: Wikimedia Commons.

The ancient Nalanda University. Image source: Wikimedia Commons.

आंशिक रूप से ऐसा इसलिए है क्योंकि बिहारी व्यंजनों को अक्सर बड़ी उत्तर भारतीय पाक प्रथाओं में सम्मिलित कर लिया जाता है, जिससे बिहारी व्यंजनों के प्रसार का विशिष्ट अध्ययन संभव नही हो पाया है। इसके अतिरिक्त, लिट्टी चोखा जैसे कुछ बिहारी व्यंजनों ने अपनी ओर खास ध्यान आकर्षित किया है, जो अंततः इस राज्य के उतने ही अद्भुत व्यंजनों के सामने श्रेष्ठ नज़र आता है।

Panch Phoran. Image source: Wikimedia commons

Panch Phoran. Image source: Wikimedia commons

भूगोल, मुख्य भोज्य पदार्थ और अनूठी विशेषताएँ

बिहारी भोजन बहुत विविध और पौष्टिक है। भौगोलिक रूप से, बिहार सिंधु-गंगा मैदान पर स्थित है जो इसे सघन खेती कृषि के लिए उपयुक्त बनाता है। यह भारत में चावल के प्रमुख उत्पादकों में से एक है। यहाँ 60 से अधिक किस्मों के चावल की खेती की जाती है। यह वाणिज्यिक और मुख्य भोज्य फसल है, और दाल-भात (दाल और चावल) बिहार में सबसे अधिक खाया जाने वाला आहार है।

अनूठी विशेषताओं की बात करें तो, बिहारी पाक कला की तकनीकों में खाने को तलना, भूनना और भाप में पकाना शामिल है। खाना बनाने वाले तेलों में सरसों का तेल सबसे पसंदीदा है, लेकिन वनस्पति तेल का भी उपयोग किया जाता है। बिहारियों की सबसे खास खाना पकाने की तकनीकों में से एक है पंच-फोरन या पाँच मसालों के मिश्रण का उपयोग जो जीरे, मेथी, कलौंजी, सौंफ़ और अजवायन से बनता है। स्वाद और सुगंध को बढ़ाने के लिए एक और आम तरीका है, धूमित लाल मिर्च के साथ खाने में छौंक लगाना।

Sattu Flour. Image source: Wikimedia commons

Sattu Flour. Image source: Wikimedia commons

Sattu sharbat

Sattu Sharbat

बिहारी थाली: विशिष्ट व्यंजन

चूँकि बिहारी थाली बहुत विविध है और बहुत सारे विकल्प प्रदान करती है, इसलिए पूरे दिन अलग-अलग समय के भोजन के लिए अलग-अलग व्यंजन खाए जाते हैं। सत्तू आमतौर पर नाश्ते में खाया जाता है। चने को पीसकर बनाया गया यह आटा बिहार के सर्वोत्कृष्ट खाद्य पदार्थों में से एक है। अधिकांश बिहारी घरों में, गर्मियों की सुबह के दौरान, सत्तू को पानी में मिलाकर, कटे हुए प्याज और हरी मिर्चियों के साथ, नमक डालकर परोसा जाता है। यह एक उच्च-ऊर्जा प्रदान करने वाले पेय के रूप में काम करता है और इसे नाश्ते के लिए पूर्ण भोजन माना जाता है। यह गर्मियों की ताप को मात देने के लिए एक प्रभावी शीतलक के रूप में काम करता है।

परंपरागत रूप से, प्रोटीन से भरपूर यह आटा कपड़े की पोटली में बांधा जाता है और दिहाड़ी मज़दूरों और किसानों द्वारा काम पर ले जाया जाता है। भोजन के समय, वे सिर्फ नमक, हरी मिर्च और प्याज के साथ आटा गूँथते हैं, इसकी मोटी लोइयाँ बनाते हैं और इसका सेवन करते हैं। इसका सेवन करने का दूसरा तरीका भी होता है जिसमें सत्तू को चीनी और घी के साथ गूँथते हैं और फिर खाते हैं। इस तरीके से खाए जाने वाले सत्तू को घेंवड़ा कहा जाता है।

Sattu ki puri. Image source: Wikimedia commons

Sattu ki puri. Image source: Wikimedia commons

नाश्ते के लिए आमतौर पर खाए जाने वाले अन्य व्यंजनों में शामिल हैं घुगनी, जो प्याज और मसालों में पकाए गए भीगे हुए काले चनों का एक नमकीन मिश्रण होता है जिसे चूड़ा यानि चपटे चावलों के चूरे के साथ खाया जाता है। सर्दियों में, चने की जगह मटर का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे चूड़े के साथ मिलाया जाता है और मटर घुगनी के रूप में इसका आनंद लिया जाता है। लोग नाश्ते में पूड़ी भी खाते हैं जो तली हुई गेहूँ के आटे की नमकीन रोटी होती है। ज़्यादातर समय, पूड़ी में मसालेदार सत्तू का मिश्रण या दाल भरी जाती है, जिससे स्वादिष्ट सत्तू की पूड़ी या दाल पूड़ी बनती है।

Ghugni. Image source: Wikimedia Commons

Ghugni. Image source: Wikimedia Commons

Bihari spicy aloo ki bhujia.

Bihari spicy aloo ki bhujia.

बिहार में दोपहर और रात के भोजन में आमतौर पर दाल, भात, और रोटी खाई जाती है, जो आधार के रूप में काम करती है, साथ में कई तरह की सब्ज़ियाँ परोसी जाती हैं, जैसे रवल की सब्ज़ी, नेनुआ की सब्ज़ी, कद्दू की सब्ज़ी इत्यादि। बिहार में लोग बहुत सारी मसालेदार तली हुई सब्ज़ियाँ खाते हैं, जिसे भुजिया कहा जाता है। आलू और भिंडी की भुजिया लोकप्रिय व्यंजन हैं।

बिहार में दोपहर और रात्रि का भोजन शायद ही कभी उन चीज़ों के बिना परोसा जाता है जो खाने के समग्र अनुभव को बढ़ाती हैं। इनमें पापड़, धनिए की चटनी, चोखा, रायता, अचार आदि शामिल हैं।

शाम के नाश्ते

बिहार भी शाम के विशिष्ट नाश्तों का शान से प्रदर्शन करता है। शाम को गरमा-गरम बहस और चर्चा के बीच चाय के साथ भुंजा का आनंद लेते हुए लोगों का समूह यहाँ की हर गली के नुक्कड़ पर पाया जा सकता है। भुंजा सूखे, भुने हुए अनाज होते हैं, जिनमें नमक, नींबू और मसालों को मिलाया जाता है। भुंजे कई प्रकार के होते हैं जैसे चूड़े का भुंजा (कटे हुए प्याज और हरी मिर्च के साथ भुने हुए चपटे चावल का चूरा), चने का भुंजा (बंगाली या काले चने के साथ इसी तरह बनाया गया) और झाल मूड़ी ( प्याज, हरी मिर्च, मूँगफली, सरसों का तेल और नमक मिलाकर बनाए गए मुरमुरे)।

Crispy and spicy Jhal Murhi

Crispy and spicy Jhal Murhi

Champaran or Ahuna Meat

Champaran or Ahuna Meat

माँसाहारी भोजन

बिहार की पाक संस्कृति मुख्य रूप से शाकाहारी है। कुछ हद तक ऐसा इसलिए है क्योंकि बिहार भारत के सबसे बड़े सब्ज़ी उत्पादक राज्यों में से एक है और कुछ हद तक बिहार के सामाजिक-धार्मिक इतिहास के कारण भी यहाँ का भोजन मुख्य रूप से शाकाहारी है। लेकिन बिहार में माँसाहारी भोजन के प्रेमियों की भी अच्छी खासी आबादी है। जहाँ तक है, इस राज्य में माँसाहारी व्यंजनों का परिचय यहाँ के मुस्लिम शासकों के द्वारा कराया गया था। इसकी शुरुआत अफ़गान शासक बख्तियार खिलजी के साथ हुई जिन्होंने पूर्वी क्षेत्र में अभियानों का नेतृत्व किया और बंगाल और बिहार दोनों पर अपना नियंत्रण स्थापित किया। इस उद्यम ने इस क्षेत्र मे पहले दिल्ली सल्तनत और बाद में मुगलों के लिए मार्ग प्रशस्त किया।

मुसलमान अपने साथ अपनी पाक संस्कृति लेकर आए जो मुख्यतः माँसाहारी थी। समकालीन समय में, सबसे प्रसिद्ध माँस से बने व्यंजनों में से एक है बिहारी कबाब, जिसमें बिना हड्डी के मेमने को लंबे टुकड़ों में काटा जाता है, मसालों और कच्चे पपीते के पेस्ट में लपेटा जाता है, और निरंतर अंतराल पर घी लगाकर कोयले के ऊपर भूना जाता है। अन्य व्यंजनों में शमी कबाब, नरगिसी कोफ़्ते, पुलाव गोश्त आदि शामिल हैं। एक बर्तन में बनी मटन करी जिसे चंपारण माँस या अहुना माँस कहा जाता है, बिहार राज्य के प्रमुख क्षेत्रीय व्यंजनों में से एक के रूप में दमकता है। इस व्यंजन को तैयार करने के लिए, माँस को देसी घी और सरसों के तेल के साथ लहसुन, प्याज, अदरक और चुनिंदा मसालों के मिश्रण में लपेटा जाता है। माँस में मिलाई गई लहसुन की एक पूरी गाँठ, उसके स्वाद को एक अनूठा रूप देती है। मसालों में लिपटा हुआ माँस, एक मिट्टी के बर्तन में रखा जाता है और बर्तन का मुँह गूँथे हुए आटे से बंद कर दिया जाता है। आम तौर पर इस मुँह में पानी लाने वाले स्वादिष्ट व्यंजन को पूरी तरह से पकने में 2-8 घंटे लगते हैं।

Kababs roasted & ready to serve. Image source: Wikimedia Commons

Kababs roasted & ready to serve. Image source: Wikimedia Commons

हालाँकि इस क्षेत्र के ब्राह्मण आमतौर पर पूरी तरह से शाकाहारी हैं, लेकिन मिथिलांचल (उत्तर-मध्य बिहार, झारखंड और नेपाल के कुछ हिस्सों) के ब्राह्मण इस समूह में नहीं आते। मैथिली के लोग माँसाहारी व्यंजनों में मुख्य रूप से मछली खाते हैं। बिहारी लोग आमतौर पर, मछली का बहुत अधिक सेवन करते हैं। इसका कारण मुख्य रूप से इस क्षेत्र में मछलियों की व्यापक उपलब्धता है क्योंकि गंगा और उसकी सहायक नदियाँ, सोन, गंडक, घाघरा और कोसी नदी पूरे बिहार में बहती हैं। मछली की व्यापक रूप से उपलब्ध किस्मों में से कुछ हैं - रोहू, कतला, पटिया, मांगुर और टेंगड़ा। बिहार, बंगाल के साथ भी अपनी सीमा साझा करता है और ऐसा लगता है कि वह अपने मछली-प्रेमी पड़ोसी से सार्थक तरह से प्रेरित है। वास्तव में, इन दोनों क्षेत्रों में मछली तैयार करने की तकनीक लगभग एक जैसी ही है। इसे मुख्य रूप से सरसों के पेस्ट में पकाया जाता है। माछ-भात, माछक-झोर आमतौर पर खाए जाने वाले मछली से बने व्यंजन हैं। बिहारियों को तले हुए झींगे भी बहुत पसंद होते हैं।

Machak-jhor. Image source: Wikimedia commons

Machak-jhor. Image source: Wikimedia commons

Balushahi. Image Source: Wikimedia Commons

Balushahi. Image Source: Wikimedia Commons

मीठे पकवान

यह क्षेत्र मीठे पकवानों के लिए भी प्रसिद्ध है। दूध और उससे बने अन्य उत्पाद इन पकवानों की मूल सामग्री होते हैं। आम तौर पर, बिहारी लोग बहुत सारे दुग्ध उत्पादों का सेवन करते हैं और इसका महत्व एक मैथिली कहावत में बहुत अच्छी तरह से परिलक्षित होता है: "आदि घी और अंत दही, ओई भोजन के भोजन कहि," (अच्छा भोजन वह होता है जो घी से शुरू हो और दही से समाप्त हो)।

बंगाल की मिठाइयों से परे, बिहारी मिठाइयाँ ज़्यादातर सूखी होती है। कुछ लोकप्रिय मिठाइयों में बालूशाही, (गोलाकार, मैदा और घी के मिश्रण से बनी और चाशनी मे भीगी हुई मिठाई ) और खाजा ( इसे भी घी, मैदा और चीनी का उपयोग करके बनाया जाता है, लेकिन यह खस्ता होते हैं और बिहारी शादियों में इसका बहुत उपयोग किया जाता है) शामिल हैं। कहा जाता है कि सबसे अच्छा खाजा राजगीर के पास एक शहर सिलाओ में मिलता है। तिल से बना एक व्यंजन होता है जिसका नाम है तिलकुट जिसमें गुड़ या चीनी का उपयोग होता है। गया जिले का तिलकुट गुणवत्ता में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

ठेकुआ एक और बहुत प्रसिद्ध मिठाई है जिसे मुख्य रूप से छठ पूजा के दौरान खाया जाता है, जहाँ इसे देवताओं के प्रसाद के रूप में बनाया जाता है। यह गेहूँ के आटे, घी, चीनी या गुड़ से बने मिश्रण से तैयार किया जाता है तथा बाद में इसे तल दिया जाता है और नाश्ते के रूप में इसका आनंद लिया जाता है। अन्य स्वादिष्ट मीठे व्यंजन जैसे दूध पीठा, लाई, पेड़ा, शक्करपारा आदि भी बिहारियों द्वारा पसंद किए जाते हैं।

Thekua. Image Source: Wikimedia Commons

Thekua. Image Source: Wikimedia Commons

प्रतिष्ठित व्यंजन: दाल-पीठा और लिट्टी चोखा

बिहारी भोजन पर होने वाली यह चर्चा इसके दो सबसे प्रमुख व्यंजनों के उल्लेख के बिना अधूरी है, जो हमेशा इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, दाल-पीठा और लिट्टी चोखा। दाल-पीठा चावल के आटे का उपयोग करके बनाया जाने वाला एक अनूठा व्यंजन है। इसमें घी या तेल का उपयोग करके आटा गूँथ लिया जाता है, फिर बेल कर चपटा किया जाता है और गुड़ (मीठे पीठे के लिए) या चने की दाल के मिश्रण (नमकीन पीठे के लिए) से भरा जाता है। फिर इसे एक बर्तन में रखकर भाप लगाई जाती है।

Dal Pitha

Dal Pitha

लिट्टी और चोखा बिहार का एक लोकप्रिय स्वादिष्ट भोजन है। इसका सेवन झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों और नेपाल में भी किया जाता है। लिट्टी गेहूँ के आटे से बनी एक लोई होती है। इसमें सत्तू का मिश्रण भरा जाता है, जिसमें मसाले, प्याज, अदरक, लहसुन, नींबू का रस, अजवायन और अन्य मसालों को मिलाया जाता है। कभी-कभी स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें आचार भी डाले जाते हैं। परंपरागत रूप से, इस आटे की लोई को गोबर के उपले, लकड़ी या कोयले के ऊपर भूना जाता था और घी में डुबाया जाता था। लेकिन आजकल, अपनी सुविधा के लिए लोग इसे तलना पसंद करते हैं। लिट्टी को चोखा के साथ खाया जाता है जो मसालों वाला बैंगन, आलू और टमाटर का मिश्रण होता है। इसे किसी आम सब्ज़ी की तरह नहीं पकाया जाता है। सबसे पहले सब्ज़ियों को भून कर मसला जाता है और फिर बारीक कटे प्याज और मसालों को इसमें मिलाया जाता है।

Litti and Chokha. Image source: Wikimedia Commons.

Litti and Chokha. Image source: Wikimedia Commons.

ऐसा माना जाता है कि लिट्टी मगध क्षेत्र की देन है, जो दक्षिणी बिहार में एक प्राचीन साम्राज्य था। यह सोलह महाजनपदों या साम्राज्यों में से एक था जो प्राचीन भारत में छठी से चौथी शताब्दी ईसा पूर्व तक अस्तित्व में था। लंबे समय से लिट्टी और चोखा किसानों से भी जुड़ा हुआ था क्योंकि इसमें महंगी सामग्री की आवश्यकता नहीं होती है और इसमें डाले गए सत्तू में विशेष रूप से शीतलन गुण होते हैं जो उन्हें पूरे दिन सक्रिय रखते हैं।

ऐसा कहा जाता है कि 1857 के विद्रोह के दौरान, इस भोजन को प्राथमिकता दी गई थी क्योंकि इसे कम से कम सामग्री के साथ आसानी से पकाया जा सकता था। इससे पेट भी जल्दी भर जाता था और यह तीन दिनों तक खराब भी नहीं होता था। ऐसा कहा जाता है कि तांतिया टोपे और रानी लक्ष्मी बाई ने इसे अपना यात्रा पर ले जाने वाला भोजन बनाया था। मुग़लों के आने से इस व्यंजन में कुछ परिवर्तन आए। लिट्टी को शोरबा (माँस के रसे) और पाया (मसालों वाली बकरी या भेड़ के खुर से बनी तरकारी) के साथ परोसा जाने लगा। समकालीन समय में, लिट्टी और चोखा, किसी भी वर्गीकरण की सीमाओं को पार कर जाता है और बिहारी समाज के हर तबके द्वारा खाया जाता है।